ये है ‘सब पढ़ें, सब बढ़ें’ की असल तस्वीर…

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कानपुर देहात–कहा जाता है कि अगर इल्म हासिल करने सात समंदर पार भी जाना पड़े तो जाइये और तालीम हासिल कीजिये। कुछ ऐसी ही तस्वीर कानपुर देहात में देखने को मिली, जहां नन्हे नन्हे मासूम बच्चे नांव में सवार होकर रोज़ाना नदी उस पार पढ़ने जाते है और इसी तरह जान जोखिम में डाल कर स्कूल से घर वापस आते है ।

कानपुर देहात के संदलपुर ब्लाक के सदना गांव में बारिश के दरमियान नदी का पानी बढ़ जाता है और नदी में नांव चलाना मुमकिन नही होता। लिहाज़ा मासूम बच्चे स्कूल जाना बंद कर देते है। कई बार तो नदी में नांव भी पलट चुकी है। बच्चो के चोटे भी आई है। जिससे बच्चे दहशतज़दा होकर कई हफ्ते स्कूल नही गए । लेकिन जुनून पढ़ने का है तो फिर ये बच्चे डर से निकल कर स्कूल जाना शुरू कर देते है ।ये सिलसिला एक ज़माने से चला आ रहा है लेकिन किसी भी नेता या अधिकारी ने इनकी समस्या की तरफ देखा तक नही।

दरअसल सदना गांव में स्कूल नही है। स्कूल सदना गांव के सामने बह रही नदी उस पार है। लिहाज़ा नन्हे नन्हे मासूम बच्चे पढ़ने जान जोखिम में डाल कर नांव पर सवार होकर नदी उस पार जाते है और पढ़ाई कर के इसी तरह स्कूल से वापस घर नांव में सवार होकर आते है। तमाम नेता आये, तमाम अधिकारी आये व नाप जोख करी गयी और फिर भैंस के सर से सींग के मानिंद गायब हो गए ।

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बच्चो के अभिभावक मजबूर है। वो रोज़ अपने बच्चो को प्रार्थना कर स्कूल भेजते है मानो वो पढ़ने नही जंग लड़ने जा रहे है और उनके घर वापस आ जाने तक डरे सहमे रहते है । गांव के लोगो ने तमाम बार अपनी समस्या अधिकारियों से बतायी ओर नदी पार करने के लिए एक पुल बनाने की मांग की लेकिन नतीजा सिफर निकला। चुनाव आते ही वोट मांगने वाले नेता पुल बनवाने की बात को अपने मेनोफेस्टो मे शामिल करने की बात कह कर वोट लेकर चले जाते है और दुबारा नज़र नही आते है। नेता विधायक सांसद मंत्री बन जाते है और इस गांव के लोग पहले की मानिंद आदिवासियों वाली ज़िन्दगी गुज़ार रहे है।

नाव चलाने वाला मल्लाह बताता है कि कई बार नांव पलटी ओर उसने किस तरह अपनी जान जोखिम में डाल कर बच्चो को बचाया क्योंकि ज़िम्मेदारी उसकी थी ऐसा नही की नाविक की कोई तनख्वाह हो बल्कि 30 पैतीस रुपये रोज़ाना कमा पाता है । कोई आटा ,दाल ,सब्ज़ी देकर नाविक को मेहनताने के रूप में देता है। इस गांव के प्रधान ने तमाम बार अधिकारियों को इस विकट समस्या के बारे में बताया और अधिकारियों से मन्नत मुरादे की कि पुल का निर्माण करा दिया जाए। मुख्यमंत्री तक को फैक्स कर पुल निर्माण की मांग की लेकिन गुज़रते वक्त ने सब कुछ ठंडे बस्ते में डाल दिया।

इस संदर्भ में जब जिलाधिकारी से बात की तो उनका कहना था की आपके माध्यम से मामला संज्ञान में आया है। पहले ये जानकारी की जाएगी कि नदी उस पार जाने का कोई वैकल्पिक रास्ता है कि नही । दूसरा अगर मासूम बच्चे नांव के माध्यम से स्कूल पढ़ने नदी उस पार जा रहे है तो पुल बनाने के लिए शासन को अवगत करा कर पुल बनाने के लिए प्रयास किया जाएगा।

(रिपोर्ट-संजय कुमार , कानपुर देहात)

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