अब शान से घोड़ी चढ़ेगा दलित दूल्हा, इन शर्तों पर हुआ क्षत्रिय समाज से समझौता

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कासगंज — उत्तर प्रदेश के कासगंज में दलित युवक की बारात को लेकर चल रहा विवाद आखिरकार खत्म हो गया. कासगंज की इस बहुचर्चित शादी को लेकर पूरे प्रदेश में सियासत हो रही थी. सोमवार को डीएम कार्यालय में दूल्हे संजय जाटव के साथ ग्राम प्रधान सहित सभी पक्षों की बैठक हुई.

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 इस बैठक में एक समझौतानामा तैयार किया गया जिसपर सभी पक्षों ने हस्ताक्षर किए.समझौतेनामे के अनुसार अब दलित दूल्हा संजय घोड़ी चढ़ेगा और उसकी बारात भी शान से निकलेगी. हालांकि प्रशासन ने वर पक्ष को गाइडलाइन दी है जिसमें लिखा गया है कि बारातियों में से कोई भी नशे का सेवन नहीं करेगा और न ही कोई शस्त्र लेकर बारात में जाएगा. इसके साथ ही ध्वनिविस्तारक यंत्रों पर आपत्तिजनक भाषा के इस्तेमाल पर भी रोक लगाई गई है.

वहीं सारे विवाद का शांतिपूर्ण हल निकलने के बाद दूल्हे संजय ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वो भी चाहते थे कि दूसरों की तरह ही उनकी भी बारात गांव के हर रास्ते से निकले, हालांकि जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी बारात गांव के हर रास्ते से निकलेगी तो उन्होंने कहा कि प्रशासन जो भी दिशा निर्देश जारी करेगा वो उसका पालन करेंगे. इसके साथ ही संजय ने कहा कि उनके मन की इच्छा पूरी हो गई है इसलिए अब उन्हें प्रशासन और सरकार से कोई शिकायत नहीं है.

ये था पूरा मामला…

दरअसल कासगंज के निजामपुर गांव में सवर्ण जाति के लोगों द्वारा कई दशकों से चली आ रही पंरपरा की दुहाई देकर दलित युवक संजय जाटव की बारात को निकलने ना दिए जाने के बाद पीड़ित ने सूबे के मुख्यमंत्री से लेकर हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया था। जिसके बाद निजामपुर गांव लगातार सुर्खियों में बना रहा। दूल्हा संजय जाटव अपनी बारात को पूरे गांव में घुमाये जाने की मांग कर रहा था तो वहीं सवर्ण जाति के लोग दशकों पुरानी चली आ रही परंपरा का हवाला देकर इसके खिलाफ थे। जिसको लेकर रविवार को देर रात डीएम, एसपी और आलाधिकारियों की मौजूदगी में दोनों पक्षों के बीच बेठक हुई। 

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