उस जमाने में पत्रकारिता के क्षेत्र में इस महिला ने फोटो पत्रकार बन किया था सबको अचंभित

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नई दिल्ली– मौजूदा दौर में पत्रकारिता के क्षेत्र में महिलाओं का होना आम बात है। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब किसी महिला का फोटो पत्रकार होना किसी अचम्भे से कम नहीं था। मगर होमी व्यारवाला ने रुढ़िवादी विचारधारा को पीछे छोड़ते हुए फोटो जर्नलिजम में करियर बनाया और इसी तरह वह भारत की पहली महिला फोटो पत्रकार बन गईं।

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आज गूगल भी होमी व्यारवाला का 104वां जन्मदिन मना रहा है। 

9 दिसंबर 1913 को गुजरात के नवसारी में एक मध्यवर्गीय पारसी परिवार में जन्मीं होमी ने मुंबई में पढ़ाई पूरी की। साल 1942 में उन्होंने दिल्ली में ब्रिटिश इन्फर्मेंशन सर्विसेज में फटॉग्रफर के रूप में काम शुरू किया था। 15 अगस्त 1947 को जब लाल किले पर तिरंगा फहराया गया था तो होमी व्यारवाला वहां मौजूद थीं। होमी व्यारवाला का 15 जनवरी 2012 को वडोदरा के उनके घर में निधन हो गया था। सन् 1938 में होमी ने प्रफेशनल तौर पर फटॉग्रफी शुरू की थी। उन दिनों फटॉग्रफी को पुरुषों का क्षेत्र माना जाता था और इस क्षेत्र में व्यारावाला, जो कि महिला थीं, की सफलता एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। होमी ने इस क्षेत्र में 1938 से 1973 तक सफलतापूर्वक काम किया। होमी व्यारवाला की तस्वीरें आज़ाद भारत से पूर्व और उसके बाद की कहानी कहती हैं। उनकी पहली तस्वीर बॉम्बे क्रॉनिकल में प्रकाशित हुई थी।  राष्ट्रपति भवन में लॉर्ड माउंटबेटन को सलामी लेते हुए होमी ने तस्वीरें खीचीं हैं। पंडित जवाहर लाल नेहरू एवं उनकी बहन विजय लक्ष्मी की गले मिलते फोटो उन्होंने खीचीं हैं। इसके साथ ही महात्मा गांधी के साथ खान अब्दुल गफ्फार खान और गांधी जी के निजी चिकित्सक सुशीला नायर की दुर्लभ तस्वीर उन्होंने खीचीं हैं। जवाहर लाल नेहरू के साथ उनके दो नाती और इंदिरा फिरोज गांधी की भी एक दुर्लभ तस्वीर होमी व्यारवाला ने खीचीं है।

पंडित जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के अंतिम संस्कार को भी उन्होंने कैमरे में उतारा है।  

होमी का पसंदीदा विषय भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे। होमी ने नेहरू के कई यादगार फोटो खींचे। नई दिल्ली से लंदन जाने वाले पहली फ्लाइट में नेहरू द्वारा ब्रिटिश उच्चायुक्त की पत्नी मिस शिमोन की सिगरेट सुलगाने वाला फोटो भी लोगों के जहन में लंबे समय तक छाया रहा।

नेहरू के अलावा होमी इंदिरा गांधी के भी नजदीकी थीं।

दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान उनके फोटो खासा चर्चा में रहे थे। होमाई व्यारावाला अपने मूलनाम की जगह अपने उपनाम ‘डालडा 13’ से अधिक जानी जाती रहीं। व्यारावाला ने जब पहली बार अपनी कार का रजिस्ट्रेशन करवाया तो उन्हें कार का नंबर ‘DLD 13’ मिला था। कार के इस नंबर से ही उन्हें अपना उपनाम ‘डालडा 13’ रखने की प्रेरणा मिली थी। होमी व्यारवाला को साल 2011 में भारत सरकार ने पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। आज गूगल ने डूडल बनाकर होमी को सम्मानित किया है। गूगल ने होमी को ‘फर्स्ट लेडी ऑफ द लेंस’ के तौर पर सम्मानित किया है। यह डूडल मुंबई के कलाकार समीर कुलावूर ने बनाया है। 

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