बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी आज , जानें आखिर क्या हुआ था 25 साल पहले?

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अयोध्या– उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनने के बाद से ही  ‘अयोध्या’ लगातार सुर्खियों में है, विवादित राम जन्म भूमि को लेकर एक तरफ जहां सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई शुरू हुई है, वहीं दूसरी ओर बाबरी विध्वंस की 25वीं बरसी के मद्देनजर प्रशासन हाई अलर्ट पर है।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को करसेवकों ने बाबरी मस्जिद का विध्वंस कर दिया था। 

6 दिसंबर, 1992 को जब हजारों की संख्या में कारसेवक ‘एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ दो’ के नारे लगा रहे थे और 16वीं सदी की इस मस्जिद को ढहा रहे थे, तब तमाम भारतीयों को भी ऐसा ही लगा था। 1990 के आसपास उभार लेने वाले राम मंदिर आंदोलन का यह सबसे बड़ा परिणाम सामने आया था। इस आंदोलन को संघ परिवार ने आगे बढ़ाया था। बीजेपी और वीएचपी के नेता इस पूरे आंदोलन के अगुवा थे। 25 साल बीत गए हैं, लेकिन इस विवादित मसले के दीर्घकालिक असर को लेकर अब भी लोगों की राय बंटी हुई है। कुछ लोगों का मानना है कि यह गेमचेंजिंग इवेंट था, जबकि एक वर्ग ऐसा नहीं मानता। जानिए आखिर कब से शुरू हुई बाबरी विवाद की कहानी-

1528: अयोध्या में बाबर ने एक ऐसी जगह मस्जिद का निर्माण कराया जिसे हिंदू राम जन्म भूमि मानते हैं।

1853: हिंदुओं का आरोप- मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई। पहला हिंदू-मुस्लिम संघर्ष हुआ।

1859: ब्रिटिश सरकार ने विवादित भूमि को बांटकर आंतरिक और बाहरी परिसर बनाए। 

1885: राम के नाम पर इस साल कानूनी लड़ाई शुरू हुई। महंत रघुबर दास ने राम मंदिर निर्माण के लिए इजाजत मांगी।

1949: 23 दिसंबर को लगभग 50 हिंदुओं ने मस्जिद के केंद्रीय स्थल में भगवान राम की मूर्ति रखी।

1950: 16 जनवरी को एक अपील में मूर्ति को विवादित स्थल से हटाने से न्यायिक रोक की मांग।

1950: 5 दिसंबर को मस्जिद को ढांचा नाम दिया गया और राममूर्ति रखने के लिए केस किया।

1959: 17 दिसंबर को निर्मोही अखाड़ा विवाद में कूदा, विवादित स्थल के लिए मुकदमा दायर।

1961: 18 दिसंबर को सुन्नी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मालिकाना हक के लिए केस किया।

1984: विश्व हिंदू परिषद विशाल मंदिर निर्माण और मंदिर के ताले खोलने के लिए अभियान शुरू। 

1986: 1 फरवरी फैजावाद जिला अदालत ने विवादित स्थल में हिंदुओं को पूजा की अनुमति दे दी। 

1989: जून में भारतीय जनता पार्टी ने मंदिर आंदोलन में वीएचपी का समर्थन किया। 

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1989: 1 जुलाई को मामले में पांचवा मुकदमा दाखिल हुआ।

1989: नवंबर 9 को बाबरी के नजदीक शिलान्यास की परमीशन दी गई। 

1990: 25 सितंबर को लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा की। जिसके बाद साम्प्रदायिक दंगे हुए।

1990: नवंबर में आडवाणी गिरफ्तार। भाजपा ने वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया।

1991: अक्टूबर में कल्याण सिंह सरकार ने विवादित क्षेत्र को कब्जे में ले लिया।

1992: 6 दिसंबर को कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया। एक अस्थाई मंदिर बनाया गया। 

1992: 16 दिसंबर को तोड़फोड़ की जांज के लिए एस.एस. लिब्रहान आयोग का गठन हुआ। 

2002:  तत्कालीन पीएम अटल बिहारी बाजपेई ने विवाद सुलझाने के लिए अयोध्या विभाग शुरू किया।

2002: अप्रैल में विवादित स्थल पर मालिकाना हक के लिए हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हुई।

2003: मार्च से अगस्त में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद विवादित स्थल पर खुदाई हुई और मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष के प्रमाण मिले।

2003: सितंबर में सात हिंदू नेताओं को सुनवाई के लिए बुलाने का फैसला दिया गया।

2005: जुलाई में विवादित क्षेत्र पर इस्लामिक आतंकवादियों का हमला, पांच आतंकी मारे गए।

2009: जुलाई में पीएम मनमोहन सिंह को को लिब्रहान आयोग ने रिपोर्ट सौंपी।

2010: 28 सितंबर को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की। 

2010: 30 सितंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मामले में ऐतिहासिक फैसला दिया। 

2017: 21 मार्च सुप्रीम कोर्ट ने मामले में मध्यस्थता की पेशकश की। 

 

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