गंगा में बहाई गयी विदेशी गंगासेवक की अस्थियां

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वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा निर्मलीकरण के लिए 3 दशक तक काम करने के बाद दुनिया को अलविदा कह गए ऑस्ट्रेलिया के पर्यावरणविद कॉल लिनोक्स की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए उनकी जीवन संगिनी सोमवार को काशी पहुंची। बता दें कि इसी वर्ष कैंसर की वजह से लिनोक्स की मौत हो गई थी। लिनोक्स संकटमोचन फाउंडेशन के साथ जुड़कर 1992 में गंगा रिसर्च लैबरेटरी की स्थापना में अहम भूमिका निभानेवाले पर्यावरणविद थे। उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए उनकी पत्नी सू लिनोक्स उनकी अस्थियां लेकर काशी पहुंची है।

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कैंसर से जूझते रहने के बाद भी गंगा के प्रति कॉल लिनोक्स का प्रेम अतुलनीय है। निधन से पहले उनकी इच्छा थी कि गंगाजल से आचमन के साथ उनके माथे पर संकटमोचन मंदिर की महावीरी लगाएं। उनकी इच्छा की खबर मिलने के बाद प्रफेसर विश्वंभरनाथ मिश्र ने अपने छोटे भाई प्रफेसर विजयनाथ मिश्र के हाथों गंगाकलश और महावीरी सिडनी भेजने का फैसला किया। वह दिल्ली पहुंचे ही थे कि उनके निधन की खबर मिल गई लेकिन वह इसको लेकर वहां पहुंचे। काशी में गंगा को साफ करने के लिए आईआईटी बीएचयू के प्रफेसर वीरभद्र मिश्र ने तुलसीघाट पर गंगा रिसर्च लैबरेटरी की स्थापना के लिए दुनियाभर के पर्यावरणविदों से जो मदद मांगी थी,उसमें पहला कदम कॉल लिनोक्स ने ही बढ़ाया था। स्वच्छ गंगा रिसर्च लैबरेटरी की स्थापना के साथ सराय मोहाना के पास सीवर के चलते भूजल दूषित होने से पेयजल संकट से जूझ रहे लोगों को शुद्ध पेयजल की स्थापना के लिए पानी टंकी के निर्माण में भी 2006 में अहम योगदान किया था। 

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