योगी कैबिनेट ने दी मकोका की तर्ज़ पर ‘यूपीकोका’ को मंजूरी
लखनऊ–सीएम योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालने के बाद संगठित अपराध, माफियाओं और आतंकवादियों पर शिकंजा कसने के निर्देश दिए थे और अब यूपी में बढ़ते अपराध पर लगाम लगाने के लिए उत्तर प्रदेश कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम ऐक्ट (यूपीकोका) के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
महाराष्ट सरकार के मकोका कानून की तर्ज पर अब यूपी में भी इस ऐक्ट के जरिए अपराध पर रोक लगाने का दावा किया जा रहा है। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के ठीक एक दिन पहले योगी कैबिनेट की एक बैठक में अहम प्रस्तावों को मजूरी दी गई है। प्रदेश में अपराधों पर रोक लगाने के लिए कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया है। बैठक में संगठित अपराधों की रोकथाम के लिए महाराष्ट्र के मकोका कानून की तर्ज पर यूपीकोका लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। शीतकालीन सत्र में यह प्रस्ताव विधानमंडल की मंजूरी के लिए भेजा जा सकता है।
बता दें कि राज्य में बढ़ते अपराध पर लगाम लगाने के लिए यूपी सरकार अगस्त महीने से यूपीकोका लाने पर विचार कर रही थी। इससे पहले यह ऐक्ट महाराष्ट्र सरकार ने लागू किया था। सरकार का दावा है कि अंडरवर्ल्ड और राजनेताओं के बीच के नेक्सस यूपीकोका जैसे सख्त कानून से खत्म किया जा सकता है।
इस कानून के तहत तीन साल से लेकर उम्रकैद व फांसी की सजा और पांच लाख से 25 लाख तक जुर्माने का प्रावधान करने की तैयारी है। इस कानून के जरिए अपराधियों और नेताओं के नेक्सस पर भी लगाम कसी जाएगी। पुलिस और स्पेशल फोर्स को स्पेशल पावर दी जाएंगीं। यूपी में इससे पहले संगठित अपराध पर कार्रवाई के लिए स्पेशल टॉस्क फोर्स का गठन हुआ था। किसी भी व्यक्ति के ऊपर यूपीकोका आईजी और कमिश्नर की परमिशन के बाद ही लगाया जाएगा। इन मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालत भी बनाई जाएगी। बता दे मकोका लगने के बाद आरोपियों को आसानी से जमानत नहीं मिलती है। मकोका के तहत पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए 180 दिन का वक्त मिल जाता है, जबकि आईपीसी के प्रावधानों के तहत यह समय सीमा सिर्फ 60 से 90 दिन की है। मकोका के तहत आरोपी की पुलिस रिमांड 30 दिन तक हो सकती है, जबकि आईपीसी के तहत यह अधिकतम 15 दिन की होती है। किसी के खिलाफ मकोका लगाने से पहले पुलिस को एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस से मंजूरी लेनी होती है। इसमें किसी आरोपी के खिलाफ तभी मुकदमा दर्ज होगा, जब 10 साल के दौरान वह कम से कम दो संगठित अपराधों में शामिल रहा हो। संगठित अपराध में कम से कम दो लोग शामिल होने चाहिए। इसके अलावा आरोपी के खिलाफ एफआईआर के बाद चार्जशीट दाखिल की गई हो। अगर पुलिस 180 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल नहीं करती, तो आरोपी को जमानत मिल सकती है।