विश्व जल दिवस पर समझें जल संरक्षण का महत्व !
कासगंज– दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने समय समय पर ये चेतावनी जारी की है कि पृथ्वी पर तेल की तरह ही जल के भण्डार भी सीमित है। इसलिए अगर ऐसे ही व्यर्थ में जल बहाओगे तो एक दिन एक एक बूँद के लिये तरस जाओगे। जल है तो जीवन है, जीवन है तो आप हैं, आप हैं तो ये सभ्यता है।
इसलिए इस मानव सभ्यता को जीवंत रखना है तो हमें जल और जल संरक्षण के महत्व को बारीकी से समझना होगा। जल और जल संरक्षण को लेकर जनपद कासगंज में तमाम जगह तमाम कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। कस्बा सिढ्पुरा में भी आज डीपीएस पब्लिक स्कूल प्रांगण में जल दिवस के इस अवसर पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है । जिसमें तमाम जल व् पर्यावरण मित्रों के साथ साथ जिलाधिकारी कासगंज भी सहभागिता कर सकते हैं। जनपद के विभिन्न विकास खंडों से पीने के पानी के सेम्पल लिए गए हैं जिनमें सोरों और सिढ्पुरा का पानी अब पीने योग्य नहीं बचा है। एक रिपोर्ट के अनुसार तीर्थ नगरी सोरों में पेयजल की एवरेज टीडीएस वेल्यु 1860 के आस पास है। वहीँ सिढ्पुरा में पीने के पानी की टीडीएस वेल्यु 636 के आसपास है जो खतरे के निशान से काफी ज्यादा है। स्थानीय निवासियों की मानें तो कासगंज जनपद में भूजल स्तर पिछले दस वर्षों में लगभग दस फिट तक गिरा है जिसके कारण अधिकतर घरेलु हेंडपंप समर बोर व् खेतों के ट्यूबेल को री-बोर कराना पडा है। लगातार गिर रहे जल स्तर के पीछे तमाम कारण हैं जिनमें अनुमान से कहीं कम बारिश का होना व् तालाबों पोखरों के सिकुड़ते दायरे एवं लगातार बदती आबादी भी इस समस्या का एक बड़ा कारण हैं।
भारत के साथ – साथ सभी देशों में विश्व जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व के सभी देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना है । साथ ही यह जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करता है। वर्ष 1992 में ब्राजील में रियो डी जेनेरियो शहर में आयोजित पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विश्व जल दिवस मनाने की पहली बार एक बड़ी पहल की गई थी तथा वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने अपने सामान्य सभा के द्वारा निर्णय लेकर विश्व भर में इस दिन को वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मनाने का निर्णय लिया । इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों के बीच में जल संरक्षण का महत्व साफ पीने योग्य जल का महत्व आदि बताना है। आपको जानकार हैरानी होगी देश के अधिकतर भूभाग में सबसे बड़ा संकट जल संकट है खेती बाड़ी के अलावा देश की 60 फीसदी आबादी को पीने का शुद्ध पानी नहीं है। हममें से अधिकतर लोग गन्दी नदियों व् मलयुक्त तालाबों के पानी को पुनः शोधित करके पी रहे हैं क्योंकि हमारा भूजल आये दिन गिरता जा रहा है। पेयजल शुद्धता के मामले में तो जनपद कासगंज के हालात बेहद चिंता जनक हैं।
विशेषज्ञों की माने तो कृषि जनित कार्यों में हम आवश्यकता से कहीं अधिक जल का प्रयोग कर रहे हैं जिसमें ट्यूबेल के जरिये हम भारी मात्रा में भूजल को ऊपर लाकर आवश्यकता से कहीं अधिक फैला रहे हैं। भूजल संकट से निपटने के लिए हमें सिंचाई के आधुनिक संसाधनों को अपनाने की जरुरत है जिसमें इजरायली पद्दति सबसे कारगर है।
( रिपोर्ट- अमित कुमार तिवारी, कासगंज)