World Population: दुनिया की आबादी 8 अरब के पार, जानें चीन से अब कितना पीछे है भारत
जनसंख्या का बोझ धरती पर तेजी से बढ़ रहा है. आज दुनियाभर में अबादी बढ़कर 8 अरब हो गई है. जनसंख्या की दृष्टि से 12 वर्ष के अंदर 1 अरब का इजाफा हुआ है. विश्व स्तर पर लोगों की बढ़ती आबादी के कारण आने वालों वर्षों में खाद्यान्न समेत तमाम ऐसी चीजों पर असर देखने को मिलेगा. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि एक समय ऐसा दौर आएगा, जब आबादी की ग्रोथ स्थिर हो जाएगी. इसकी वजह से फिर गिरावट देखने को मिलेगी. मगर, बीतें 48 वर्षों में आबादी बढ़ी है, वो चौंकाने वाली हैं.
बता दें वर्ष 1948 में दुनियाभर में कुल आबादी 4 अरब ही थी, जोकि आज के समय में बढ़कर 8 अरब हो गई है. आंकड़ों को देखा जाए तो वर्ष 1950 में दुनियाभर में आबादी महज ढाई अरब ही थी. वहीं, रिपोर्ट्स की माने तो आने वाला वर्ष 2086 ऐसा साल होगा, जब दुनिया में 10.6 अरब के पार इंसानो की आबादी हो जाएगी.
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पहले पर चीन, दूसरे पर भारत
वर्तमान आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो अभी सबसे ज्यादा आबादी वाला देश चीन है, जिसकी जनसंख्या 142 करोड़ है. वहीं दूसरे नंबर पर भारत है, यहां पर जनसंख्या 141 करोड़ है. रिपोर्ट के मुताबिक, जिस तरह भारत की आबादी बढ़ रही है, इसको देखते हुए भारत चीन को वर्ष 2023 तक पीछे छोड़ देगा. हालांकि, ऐसा भी कहा जा रहा है कि वर्ष 2050 तक आबादी स्थिर होगी और जनसंख्या वृद्धि पर कमी भी देखने को भी मिलेगी. यही वजह है कि भारत, चीन समेत दुनिया के कई देशों में आने वाले दशकों में युवा आबादी घटने की आशंका जताई जा रही है, जिसका वर्कफोर्स पर असर देखने को मिल रहा है.
इन देशों में भी बढ़ेगी आबादी…
आबादी से जुड़े मामलों की समझ रखने वालों का कहना है कि मृत्यु दर में कमी की वजह से भी जनसंख्या में इजाफा हो रहा है. बीते 70 वर्षों में दुनिया की आबादी बढ़ाने में चीन और भारत का अहम योगदान रहा है. इन दोनों देशों की आबादी ही मिला लें तो यह करीब 2.80 अरब हो जाती है. लेकिन, आने वाले वक्त में भारत और चीन की ग्रोथ में कमी देखने को मिलेगी. बताया जा रहा है कि 21वीं सदी के आखिरी दशकों में भारत और चीन की बजाय अफ्रीकी देशों में आबादी तेजी से बढ़ेगी. इन देशों में तंजानिया, नाइजीरिया और कॉन्गो शामिल होंगे.
इन देशों में थमी जनसंख्या की रफ्तार…
दरअसल, दुनिया के कई देशों में पहले से ही आबादी की ग्रोथ रेट रिप्लेसमेंट लेवल यानी 2.1 से भी कम हो गई है. वर्ष 2055 तक पूरी दुनिया की आबादी की ग्रोथ रेट ही 2.1 यानी रिप्लेसमेंट लेवल तक रह जाएगी. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, आबादी में सबसे अधिक इजाफा वर्ष 2012-2014 के दौरान हुआ है. इस दौरान 14 करोड़ से ज्यादा बच्चों का जन्म हुआ था. कहा जा रहा है कि कुछ उतार-चढ़ाव के साथ ही वर्ष 2043 से आबादी बढ़ने की दर में गिरावट देखी जा सकती है. अब तक आबादी में तेजी से इजाफा हुआ है, लेकिन अब अगले एक अरब लोगों के आबादी में जुड़ने में 12 वर्षों का वक्त लगेगा.
12 वर्ष में बढ़ रही आबादी…
आबादी बढ़ने की दर पर नजर दौड़ाएं तो दुनिया में इंसानों की संख्या वर्ष 1950 में ढाई अरब थी, जो अगले 10 वर्षों में बढ़कर 3 अरब हो गई. इसके बाद वर्ष 1974 में 4 अरब हो गई. फिर अगले 13 सालों में यानि वर्ष 1987 में यह आंकड़ा 5 अरब हो गया. हालांकि, अगला एक अरब यानी 6 करोड़ आंकड़ा होने में 12 वर्ष ही लगे. वर्ष 2011 में दुनिया की आबादी 7 अरब हो गई और अब आंकड़ा 11 वर्षों में 8 अरब के पार पहुंच गया है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि आने वाले दशकों में आबादी की ग्रोथ में थोड़ी स्थिरता आएगी और वर्ष 2086 तक आबादी 10.4 अरब तक पहुंच जाएगी.
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