World Heritage Day 2022: क्यों मनाया जाता है ‘विश्व धरोहर दिवस’ ! जानें इतिहास और महत्व
किसी भी देश के धरोहरें उसकी विरासत होती हैं। भारत में मौजूद हर किले, महल से लेकर पुराने शहर में हमारे पूर्वजों की छाप मिलती है। ये प्रमाण हैं उस इतिहास का जिसे हमारे पूर्वजों ने जिया है। इन सभी विरासतों को संजोया और संभाला जा सके इसके लिए हर साल 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस (World Heritage Day) मनाया जाता है। इसे इंटरनेशनल डे फॉर मोनुमेंट्स एंड साइट्स (International Day for Monuments and Sites) के रूप में मनाया जाता है। विश्व धरोहर दिवस के लिए ICOMOS हर साल एक थीम निर्धारित करता है, जिसके ईर्द-गिर्द तमाम तरह की गतिविधियां और अभियान चलाए जाते हैं। इस साल यह थीम ‘हेरिटेज एंड क्लाइमेट’ है।
विश्व धरोहर इतिहास
बता दें कि साल 1982 में, ICOMOS (अंतर्राष्ट्रीय परिषद और स्मारक और स्थल) ने प्राचीन संस्कृति और उसके ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए इस दिन को मनाने का सुझाव दिया था। जिसके बाद, साल 1983 में यूनेस्को द्वारा 22 वें सामान्य सम्मेलन के दौरान इसे अपनाया गया, फिर हर साल 18 अप्रैल को वर्ल्ड हेरिटेज डे मनाया जाने लगा। दरअसल संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को की पहल पर 1982 में अंतरराष्ट्रीय संधि लागू की गई जो दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बिखरी ऐसी तमाम धरोहरों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। ये धरोहर तीन श्रेणियों में बांटी गई है जिसमें प्राकृतिक धरोहर स्थल, सांस्कृतिक धरोहर स्थल और मिश्रित धरोहर स्थल शामिल है। भारत में 40 ऐसे स्थल हैं, जिसमें ताजमहल, अजंता-एलोरा की गुफाएं, कोणार्क सूर्य मंदिर आदि शामिल हैं। इनके संरक्षण को लेकर जन जागरूकता के लिए 18 अप्रैल का दिन चुना गया। पूर्व में 18 अप्रैल विश्व स्मारक तथा पुरातत्व स्थल दिवस के रूप में मनाया जाता था।
विश्व धरोहर दिवस का महत्व
आपको बता दें कि हमारा अतीत कितना गौरवमयी रहा है उसका साक्षात हस्ताक्षर हैं यह धरोहरें। अतीत के किस्से, निर्णय, युद्ध, महापुरुष, जीत-हार, कला सब इन्हीं से जुड़े हैं। बात करें विश्व धरोहर दिवस के महत्व की तो हर देश का अपने अतीत और उस अतीत से जुड़ी कई सारी गौरव गाथा है। इन गौरव गाथा की कहानी बयां करती हैं वहां स्थित तात्कालिक समय के स्मारक और धरोहरें। युद्ध, महापुरुष, हार-जीत, कला, संस्कृति आदि को इतिहास के पन्नों पर दर्ज करने के साथ ही उनके सबूत के तौर पर इन स्थलों को सदैव जीवित रहना जरूरी है। बता दें, इस दिन पूरे देश में सभी इमारतों और मॉन्यूमेंटल साइट्स में जाना फ्री होता है, किसी भी प्रकार की फीस एंट्री के लिए नहीं देनी होती है।
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