गरीबी को मात देकर हासिल किया गोल्ड मेडल

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लखनऊ —कहते हैं कि अगर मेहनत और लगन से किसी काम को किया जाए तो बड़ी – बड़ी परेशनियां भी उसके सामने घुटने टेक देती हैं।  ऐसा ही कुछ कर दिखाया उत्तर प्रदेश के कोमल नारायण त्रिपाठी ने। उत्तर प्रदेश की लखनऊ यूनिवर्सिटी में डॉ. चक्रवर्ती गोल्ड मेडल यूनिवर्सिटी टॉप करने वाले छात्रों को मिलता है। इस बार यह गोल्ड मेडल दीक्षांत समारोह में कोमल नारायण त्रिपाठी को दिया जाएगा।

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कोमल ने बताया कि वह रायबरेली जिले के ऊंचाहार के पास एक छोटे से गांव पचखरा का रहने वाला है। 

उसके पिता एक बहुत छोटे से किसान हैं। उनके पास इतने रुपये नहीं थे कि वह उसकी फीस जमा कर सकते। उसे एक बार लगा कि अब उसकी पढ़ाई बंद हो जाएगी और उसका करियर खत्म हो जाएगा। 21 सितंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उसकी फीस जमा करने के लिए मदद मांगी। कोमल राज्य स्तर का ऐथलीट भी है। उसे पिछले साल चांसलर सिल्वर मेडल मिला था। दोस्त उसे नॉनस्टॉप वॉकर कहते हैं क्योंकि वह तीन बार 20 किलोमीटर की वॉक प्रतियोगिता का विजेता रहा है। उसके पिता पेशे से किसान हैं। उनकी फसल पिछले साल बर्बाद हो गई थी। वह उसकी फीस देने में असमर्थ थे। प्रफेसर्स और एक वरिष्ठ वकील ने उसकी मदद की। रक्षा अध्ययन विभाग में पहली बार ऐसा हुआ है जब विभाग के किसी छात्र को गोल्ड मेडल मिलने जा रहा है। पिछले साल कोमल को सिल्वर मेडल मिला था। इस साल उसने लखनऊ यूनिवर्सिटी में टॉप करके गोल्ड मेडल जीत लिया। इसके लिए कोमल नारायण त्रिपाठी को कड़ी मेहनत करनी पड़ी। कोमल के पिता पेशे से किसान हैं। उनके पास बच्चे की फीस भरने के लिए भी रुपये नहीं थे। फसल बर्बाद होने से घर में खाने तक को कुछ नहीं था लेकिन इन कठिन परिस्थितियों में कोमल ने खुद को साबित करके दिखा दिया कि अगर कोई ठान ले तो बड़ी से बड़ी कठिनाई उसका रास्ता नहीं रोक सकती। 

 

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