यूपी की इस सीट पर कभी नहीं जीत पाई महिलाएं, लेकिन बीजेपी ने तोड़ा मिथ

0 23

सुल्तानपुर–भाजपा प्रत्याशी व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कड़े संघर्ष में जीत हासिल कर सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर इतिहास रच दिया। जीत के साथ ही वह सुल्तानपुर लोकसभा सीट से जीतने वाली पहली महिला प्रत्याशी बनीं।

Related News
1 of 1,456

बेटे की राजनैतिक जमीन सुल्तानपुर पर भाग्य आजमाने पहुंची केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी का सफर चुनौतियों से भरा था। पार्टी वर्कर्स की नाराजगी एक तरफ थी तो वोटर्स का बदला मूड एक ओर। इसके बाद खिलाफ बीएसपी समर्थित गठबंधन प्रत्याशी चन्द्रभद्र सिंह का स्थानीय चेहरा तो मेनका का बाहरी रूप जिसे बहुत धार दिया गया। इस सबसे ऊपर था मेनका के लिए सुल्तानपुर के इतिहास का महिला उम्मीदवार के हार के मिथक को तोड़ना, लेकिन डेढ़ महीने के कड़े परिश्रम का आखिर उन्हें फल मिला और उन्होंने सुल्तानपुर सीट के लोकसभा इतिहास के उस मिथक को कड़े मुकाबले के बाद 13859 वोटों से मात दे ही दी।

बता दें, 1998 मे जिले के राजनीति इतिहास में पहली बार महिला उम्मीदवार के रूप में इलाहाबाद की निर्दलीय मेयर रही डॉ.रीता बहुगुणा जोशी सपा प्रत्याशी बनाई गई। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेयी की शहर के खुर्शीद क्लब में भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र बहादुर सिंह के पक्ष में जनसभा कर हवा का रुख मोड़ दिया था और रीता बहुगुणा को करारी शिकस्त मिली थी। इसके बाद 1999 के चुनाव में गांधी परिवार की करीबी रही दीपा कौल कांग्रेस प्रत्याशी बनाई गई। इस चुनाव मे भाजपा प्रत्याशी सत्यदेव सिंह का पर्चा खारिज हो गया। उनका मुकाबला बीएसपी प्रत्याशी जयभद्र सिंह और एसपी प्रत्याशी एवं अम्बेडकरनगर निवासी रामलखन वर्मा से हुआ। बाहरी बनाम स्थानीय का नारा इस चुनाव मे जोर से चला। नतीजे में दीपा कौल चौथे पायदान पर पहुंच गईं थी। बीएसपी से जयभद्र सिंह चुनाव जीते थे। फिर 2004 के लोकसभा चुनाव मे भाजपा ने डॉ. वीणा पाण्डेय को प्रत्याशी बनाया। बीएसपी ने मो.ताहिर खां को प्रत्याशी बनाया था और सपा ने विधान परिषद सदस्य रहे शैलेन्द्र प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया था।

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Comments
Loading...