खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या ! सोशल मीडिया पर अक्सर महिलाओं के संघर्ष और हिम्मत की कहानियां वायरल होती रहती हैं। आज आपको एक ऐसी ही महिला के संघर्ष के बारे में बताने जा रहे हैं।
दरअसल सोशल मीडिया पर एक महिला की संघर्ष और हिम्मत की कहानी वायरल हो रही है। यह महिला कोई और नहीं बल्लि पुलिस सब-इंस्पेक्टर पद्मशीला तिरपुडे है। पत्थर के सिलबट्टे बनाकर बेचने वाली पद्मशील ने मेहनत और लगन से MPAC में पास कर सब-इंस्पेक्टर बनीं। जिसकी हर जमकर तारीफ हो रही हैं।
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IPS दीपांशु ने शेयर की कहानी…
आपको बता दें कि आईपीएस अधिकारी दीपांशु काबरा ने भी उनकी तस्वीर शेयर की और दावा किया, परिस्थितियां आपकी उड़ान नहीं रोक सकती।किस्मत भले आपके माथे पर भारी पत्थर रखे लेकिन उनसे कामयाबी का पुल कैसे बनाना है ये भंडारा, महाराष्ट्र की पद्मशीला तिरपुडे से सीखें। पत्थर के सिलबट्टे बनाकर बेचने वाली पद्मशीला ने मेहनत की और MPAC में उत्तीर्ण होकर पुलिस उपनिरीक्षक बनीं।
परिस्थितियाँ आपकी उड़ान नहीं रोक सकती.
किस्मत भले आपके माथे पर भारी पत्थर रखे लेकिन उनसे कामयाबी का पुल कैसे बनाना है ये भंडारा, महाराष्ट्र की #पद्मशीला_तिरपुडे से सीखें. पत्थर के सिलबट्टे बनाकर बेचने वाली पद्मशीला ने मेहनत की और MPAC में उत्तीर्ण होकर पुलिस उपनिरीक्षक बनीं pic.twitter.com/TjIUMBSkjH
— Dipanshu Kabra (@ipskabra) October 22, 2020
पति ने दिया पूरा सहयोग
अपने अगले ट्वीट में आईपीएस दीपांशु ने लिखा, उनके संघर्षों में पति ने पूरा साथ निभाया। शुरुआती दिनों में वे पति के साथ मजदूरी करती थीं। आर्थिक तंगी के चलते पति ने ये तय किया कि वे पत्नी को आगे बढ़ाएंगे और पढ़ाई पूरी करवाएंगे। सिलबट्टे और फल बेचते पद्मशीला ने बैचलर पूरा किया और एमपीएसी क्लियर कर आज पुलिस उपनिरीक्षक बनीं।
एक फोटो में लाल साड़ी पहने महिला बच्चे को गोद में उठाए है। उसके सिर पर पत्थर के सिलबट्टे रखे हैं। जबकि दूसरी में वह पुलिस की वर्दी में अपने परिवार के साथ नजर आ रही हैं।
दावा किया गया कि महिला जीने के लिए संघर्ष कर रही थी और मेहनत कर पुलिस सब-इंस्पेक्टर बनी। दोनों तस्वीरों को इसी संदेश के साथ फैलाया जा रहा है। हालांकि, हमारे सहयोगी महाराष्ट्र टाइम्स ने इस मामले पर पद्मशीला तिरपुडे से बात की तो उन्होंने कहा,वो मैं नहीं हूं मैंने कभी सिलबट्टे नहीं बेचे।
परिस्थितियाँ आपकी उड़ान नहीं रोक सकती.
किस्मत भले आपके माथे पर भारी पत्थर रखे लेकिन उनसे कामयाबी का पुल कैसे बनाना है ये भंडारा, महाराष्ट्र की #पद्मशीला_तिरपुडे से सीखें. पत्थर के सिलबट्टे बनाकर बेचने वाली पद्मशीला ने मेहनत की और MPAC में उत्तीर्ण होकर पुलिस उपनिरीक्षक बनीं pic.twitter.com/TjIUMBSkjH
— Dipanshu Kabra (@ipskabra) October 22, 2020
ये है पूरा मामला…
पद्माशीला तिरपुडे ने एक अखबार से कहा मेरे अतीत और संघर्षों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। हां, जिंदगी में बहुत संघर्ष किया है। हालात काफी खराब थे। लव मैरिज की थी। हम नासिक शिफ्ट हो गए थे। यशवंतराव चव्हाण मुक्त विश्वविद्यालय में ग्रेजुएशन के दौरान ही कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी थी। साल 2007 से 2009 तक ग्रेजुएशन की।
2012 में मुख्य प्रतियोगी परीक्षा पास की। 2013 में पुलिस में सब-इंस्पेक्टर बनी। तभी ही परिवार के साथ यह तस्वीर ली गई थी। इसमें मैं अपनी सास, पति और बच्चों के साथ हूं। लेकिन बाद में, इस फोटो के साथ सिलबट्टे बेचने वाली महिला की फोटो को जोड़कर इसे मेरे संघर्ष की कहानी बताया जाने लगा। यह संयोग है कि महिला मेरी तरह नजर आती है।
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