आखिर 15 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है ‘टेस्ट क्रिकेट का Happy Birthday’
स्पोर्ट्स डेस्क– आधुनिक क्रिकेट में टी-20 की चमक ने बेशक टेस्ट क्रिकेट का रंग थोड़ा हल्का कर दिया हो, लेकिन इतिहास गवाह है कि क्रिकेट को टेस्ट मैचों तक पहुंचने में लगभग कई शताब्दियां लगी हैं। 15 मार्च को टेस्ट क्रिकेट का जन्मदिन कहा जा सकता है यानी इसी दिन दुनिया ने पहले टेस्ट मैच को होते देखा।
इससे पहले का क्रिकेट का इतिहास अनौपचारिक मैचों के जरिये आगे बढ़ रहा था, लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देने के अनेक प्रयास चल रहे। ये प्रयास उस समय रंग लाए जब इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया। 15 से 19 मार्च, 1877 के बीच मेलबर्न ग्राउंड पर इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टेस्ट मैच खेला गया। यानी टेस्ट मैचों का अस्तित्व 140 साल पुराना हो चुका है। हालांकि, जेम्स लिलीवाइट की कप्तानी में 1876 में इंग्लिश टीम ऑस्ट्रेलिया का दौरा कर चुकी थी। लेकिन टेस्ट क्रिकेट को मान्यता 1877 में ही मिल पाई।
यह वह समय था जब ऑस्ट्रेलिया की टीम को बेहद कमजोर माना जाता था। इंग्लैंड के सामने उसे एकदम नौसिखया टीम माना जा रहा था। ऑस्ट्रेलियाई टीम का नेतृत्व कर रहे थे डेविड विलियम जॉर्जी। दिलचस्प बात है कि इस टेस्ट मैच की कोई समय सीमा तय नहीं थी। बावजूद इसके यह पहला टेस्ट केवल पांच ही दिन चल पाया। हार जीत से इतर दोनों टीमों के 22 खिलाड़ियों ने टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया।
एक ओवर में फेकी जाती थी चार गेंदें
पहला टेस्ट होने के कारण इस मैच में अनेक रिकॉर्ड बने। इसमें एक ओवर छह नहीं बल्कि चार गेंदों का था। ऑस्ट्रेलियाई कप्तान विलियम ने पहला टॉस जीता और बल्लेबाजी का फैसला किया। टेस्ट क्रिकेट के इतिहास की पहली गेंद डालने का श्रेय इंग्लैंड के अल्फ्रेड शॉ को मिला, जबकि पहली गेंद खेलने का श्रेय ऑस्ट्रेलिया के चार्ल्स बैनरमैन को गया।
बने थे कई रिकॉर्ड
चार्ल्स बैनरमैन ने 285 मिनट बल्लेबाजी करते हुए 165 रन की पारी खेली। वह रिटायर्ड हर्ट होने वाले पहले खिलाड़ी बने। ऑस्ट्रेलिया ने अपना पहला विकेट केवल दो रन पर खो दिया था। एलेन हिल टेस्ट क्रिकेट इतिहास के पहले विकेट और कैच लेने वाले खिलाड़ी के रूप में दर्ज हुए। मजेदार बात थी कि एक छोर से ऑस्ट्रेलिया के विकेट लगातार गिरते रहे और बैनरमैन एक छोर संभाले रहे। उनके अलावा कोई भी और बल्लेबाज 20 का स्कोर नहीं छू पाया, लेकिन इसके बावजूद ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में केवल 245 पर ऑल आउट हो गया। लग रहा था कि ऑस्ट्रेलिया सचमुच कमजोर है। इंग्लैंड की तरफ से जेम्स साउथटर्न और एल्फ्रेड शॉ ने 3-3 विकेट लिए। अब इंग्लैंड को बल्लेबाजी करनी थी और अपना प्रभुत्व साबित करना था। लेकिन इंग्लैंड की टीम 200 का आंकड़ा नहीं छू पाई और 196 रनों पर ढेर हो गई।
ऑस्ट्रेलिया को 49 रनों की लीड मिल गई। इंग्लैंड की तरफ से हैरी जप ने सबसे अधिक 63 रनों की पारी खेली. हैरी चार्ल्सवुड ने 36 और एलेन हिल ने 35 रन बनाए। मैच के तीसरे दिन ऑस्ट्रेलिया का लक्ष्य जीत के लिए बड़ा स्कोर करना था, लेकिन इस बार वे पूरी तरह असफल रहे। पूरी ऑस्ट्रेलिया की टीम 104 के स्कोर पर आउट हो गई। इंग्लैंड की तरफ से एल्फ्रेड शॉ ने टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में पहली बार पांच विकेट लिए।
अब इंग्लैंड के सामने जीत के लिए 154 रनों का लक्ष्य था। लग रहा था कि इंग्लैंड इसे आसानी से हासिल कर लेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। मेजबान टीम के थॉमल के सामने इंग्लैंड बल्लेबाजों ने घुटने टेक दिए. थॉमल ने 33.1 ओवरों में 55 रन देकर सात विकेट लिए। उन्होंने 12 मेडन ओवर फेंके। पूरी इंग्लैंड की टीम 108 रनों पर आउट हो गई और ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट इतिहास का पहला टेस्ट मैच 45 रनों से जीत गया।
इस तरह क्रिकेट इतिहास का पहला टेस्ट मैच खेला गया। दिलचस्प बात है कि मैच केवल चार दिन चला। नए बने स्टेडियम मेलबर्न पर खेले गए इस मैच में पहले दिन 4500 दर्शक थे जबकि दूसरे दिन इनकी संख्या घटकर 4000 रह गई, लेकिन मैच के तीसरे दिन दर्शकों की संख्या बढ़कर 10 हजार पहुंच गई और मैच के आखिरी दिन केवल 2000 दर्शक मैच देखने पहुंचे। लेकिन इतिहास लिखा जा चुका था और पहले ही टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने यह साबित कर दिया था कि वह आने वाले समय में टेस्ट क्रिकेट की सुपर पॉवर होगी।