जिसे पीएम मोदी भी बड़े चाव से खाते हैं ,जानिए क्या है लिट्टी चोखा का इतिहास?

लिट्टी चोखा एक ऐसा व्यंजन हैं जिसे बिहार में बड़े चाव से खाया जाता है इसे बिहार का प्रमुख व्यंजन माना जाता है। 

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लिट्टी चोखा एक ऐसा व्यंजन हैं जिसे बिहार में बड़े चाव से खाया जाता है इसे बिहार का प्रमुख व्यंजन माना जाता है। लिट्टी एक आटे का गोला होता है जिसे जलते अलाव में सेका जाता है।  लिट्टी के भीतर सत्तू का मसाला भी भरा जाता है।अगर चोखे की बात करें तो चोखा आग पर सेके गए आलू, बैंगन, टमाटर से बनाया जाता है। लिट्टी चोखा सबसे आसानी से बनने वाले व्यंजनों में से एक है। इसको बनाने की विधि काफी सरल है। लिट्टी चोखा को सिर्फ  बिहार में ही नहीं बल्कि झारखंड पूर्वी उत्तर प्रदेश और दिल्ली के भी कुछ जगहों पर बड़े पसंद से खाया जाता है।

लिट्टी चोखे का इतिहास:

लिट्टी चोखे का इतिहास मगध काल से जुड़ा हुआ है. मगध शासनकाल के दौरान लिट्टी चोखा प्रचलन में आया।  चंद्रगुप्त मौर्य मगध के राजा थे जिनकी राजधानी पाटलिपुत्र (पटना ) थी लेकिन उनका साम्राज्य अफगानिस्तान तक फैला था।  इतिहासकारों के मुताबिक चंद्रगुप्त मौर्य के सैनिक युद्ध के दौरान अपने साथ लिट्टी चोखा रखते थे। 18वीं शताब्दी की कई किताबों के अनुसार लंबी दूरी तय करने वाले मुसाफिरों को मुख्य भोजन लिट्टी चोखा था।

आंदोलनकारियों का व्यंजन:

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लिट्टी चोखा के प्रसिद्ध होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अंग्रेजों से लड़ाई के दौरान स्वतंत्रता सेनानी अपने साथ लिट्टी चोखा लेकर चलते थ। इस व्यजंन की खास बात यह है कि यह जल्दी खराब नहीं होता है इसके अलावा इसे बनाना काफी आसान होता है और यह सेहत के लिए भी काफी अच्छा होता है।सन  1857 में प्रथम स्वाधीनता संग्राम के दौरान  तात्या तौपे और रानी लक्ष्मी बाई के सैनिक लिट्टी को काफी पंसद करते थे क्योंकि इसके लिए ज्यादा सामान की जरुरत नहीं थी और इसे पकाना भी आसान था।

 

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