जब अर्थी पर लेटा शख्स अचानक हुआ जिंदा, सुनाई चौकाने वाली दास्तान !
अलीगढ– मरने के बाद क्या कोई पुनः जीवित हो सकता है तो इसका जवाब हां होगा क्योकि, इस तरह की घटनांए इससे पहले भी सामने आ चुकी है। ऐसा ही एक जीवांत उदाहरण जिले के एक गांव में देखने को मिला है। जहां 53 वर्षीय रामकिशोर की बीमारी की वजह से अचानक मौत हो गई और परिवार में मातम छा गया।
रिश्तेदार और ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार की तैयारी कर ली, तभी पांच घंटे बाद मृतक पुनः उठा और खुद को जीवित बताया। यह देख सभी सन्न रह गये और मातम खुशियों में बदल गया। वहीं चिकित्सकों का मानना है कि विज्ञान इसे स्वीकार नहीं करता, कभी-कभी व्यक्ति गहरे कोमा में चला जाता है और उसके हार्ट की धड़कन और सांस की गति इतनी धीमी हो जाती है कि पता ही नहीं चलता। गांव किरथला में हुई इस घटना को चमत्कार मान कर लोगों में रामकिशोर से मिलने की जिज्ञासा बढ़ गई है। जिसके बाद लोग उनसे काफी संख्या में मिलने आ रहे है।
मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर अतरौली थाना क्षेत्र के गांव किरथला निवासी 53 वर्षीय रामकिशेांर उर्फ भूरा सिंह पूर्ण रुप से स्वस्थ्य थें। तभी अचानक उसकी कुछ दिनों पूर्व अचानक मौत हो गई। जिसके बाद परिवार में कोहराम मच गया और इसकी जानकारी पर ग्रामीण भौच्चके रह गये। सूचना पाकर ग्रामीण और रिस्तेदार का आना शुरु हो गया। बिलखते परिवार को देखकर सभी की आंखे नम हो गई। कुछ देर के बाद रामकिशोर के शव की अंतिम संस्कार करने की तैयारी शूरु हो गई।
जब नहलाने के बाद उसे अर्थी पर रखा तभी रामकिशोर के शरीर में हलचल होने लगी इसको देख लोगों में हैरानी हुई और सभी देखने को उत्सुक हो उठे। तभी रामकिशोर उठ बैठा और भीड़-भाड़ को देखकर सभी के नाम पुकारते हुए बोला क्या हुआ। चिन्ता मत करो मे बिल्कुल ठीक हूं। जब परिजनों ने पूछा तो उसने बताया कि कुछ लेाग उसे लेकर गये और सभी ने पहुंचने पर कहा कि गलत आदमी को ले आये हो इसे वापस जाने दो। यह सुनकर सभी दंग हो गए, और मातम खुशिंयों में बदल गया।
राम किशोर की पांच घंटे बाद पुनः जीवित होने को चमत्कार मानकर ग्रामीण भारी संख्या में उसके घर पहुंचने लगे और उससे जानने लगे कि क्या हुआ था। जैसे-जैसे इसकी खबर आसपास के गांव मे फैली तो लोगों का आना शुरु हो गया। तभी से यह मामला सुर्खियों में बना हुआ है।
उधर आईएमए के मीडिया प्रभारी डा0 प्रदीप बंसल का मामना है कि यह कोई चमत्कार नही है, बल्कि कभी-कभी ऐसा होता हो जाता है कि आदमी कोमा में चला जाता है जिससे उसके दिल की धड़कन और सांस की गति इतनी धीमी हो जाती है कि हम ऐसी दशा में समझते है कि उसकी मौत हो गई। लेकिन कभी कभी कुछ देर बाद इस क्रिया के पुनः हो जाने पर इस प्रकार की बात हो जाती है।
वहीं प्रतिष्ठित डा0 संजय भार्गव का कहना है कि यह कोई चमत्कार नहीं है और विज्ञान इसे स्वीकार नही करता है। बिना इसीजी के मृत घोषित नही किया जा सकता है। ऐसा कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी ऐसे ही कई मामले सामने आ चुके है। कुछ समय पूर्व अलीगढ़ के कयामपुर निवासी एक वृद्व को आगरा में मृत घोषित कर दिया था आगरा से अलीगढ आने पर वृद्व के शरीर में हलचल होने पर परिजन उसे नर्सिंग होम में लाये जहां तीन दिन उपचार के उपरांत उसकी मृत्यु हो गई।
(रिपोर्ट- पकंज शर्मा, अलीगढ़)