..तो ऐसे बनती है वोट वाली स्याही, अपने ही राज्य में सप्लाई नहीं कर सकती कंपनियां

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हैदराबाद–लोकतंत्र के त्योहार में हिस्सा लेने वाले लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के बाद स्याही का निशान गर्व से दिखाते हैं। इसी स्याही के बारे में एक दिलचस्प बात यह भी है कि भारत में सिर्फ दो कंपनियां हैं जो वोटर इंक बनाती हैं- हैदराबाद के रायडू लैब्स और मैसूर के मैसूर पेंट्स ऐंड वॉर्निश लिमिटेड। 

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यही दोनों कंपनियां पूरे देश को वोटिंग के लिए इंक सप्लाइ करती हैं। यहां तक कि इनकी इंक विदेशों में भी जाती है। इन कंपनियों के परिसर में इंक बनाते वक्त स्टाफ और अधिकारियों को छोड़कर किसी को भी जाने की इजाजत नहीं है। बता दें कि वोटिंग में इस्तेमाल होने वाली इंक में सिल्वर नाइट्रेट होता है जो अल्ट्रावॉइलट लाइट पड़ने पर स्किन पर ऐसा निशान छोड़ता है जो मिटता नहीं है। ये दोनों कंपनियां 25,000-30,000 बोतलें हर दिन बनाती हैं और इन्हें 10 बोतलें के पैक में रखा जाता है। इनकी एक्सपायरी 90 दिन के बाद होती है और निशान एक हफ्ते तक बना रहता है।’ 

साल 2014 में हुए चुनावों में चीफ इलेक्शन कमिश्नर ने सिल्वर नाइट्रेट की मात्रा 20-25 प्रतिशत बढ़ा दी थी ताकि वह लंबे समय तक लगी रहे। हैदराबाद की कंपनी ऐफ्रिका के रवांडा, मोजांबीक, दक्षिण ऐफ्रिका, जांबिया जैसे देशों में इंक आपूर्ति करती है। साथ ही, विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर पल्स पोलियो प्रोग्राम के लिए भी काम करती है। वहीं, मैसूर की कंपनी यूके, मलेशिया, टर्की, डेनमार्क और पाकिस्तान समेत 28 देशों में भेजती है। हालांकि, चुनाव आयोग के नियमों के कारण रायडू लैब्स तेलंगाना चुनाव में इंक सप्लाइ नहीं कर सकी। 

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