वैंकेया ने सदन के पहले ही दिन बदल डाला ये बड़ा नियम…जाने क्यों ?
नई दिल्ली– उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने राज्यसभा के सभापति का पद संभालने के बाद पहले दिन ही संचालन प्रक्रिया में बदलाव के लिए कुछ सुझाव दिए। उपराष्ट्रपति ने सभी मंत्रियों और सांसदों से कहा कि सदन पटल पर किसी भी कागजात या रिपोर्ट को पेश करते समय औपनिवेशिक काल के शब्दों के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
नायडू ने कहा कि अब आजाद देश हैं ऐसे में हम उपनिवेशिक शब्दों के इस्तेमाल से बच सकते हैं। शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन शुक्रवार को जब मंत्री दस्तावेजों को सदन के पटल पर रख रहे थे तो नायडू ने कहा कि वह सदन को एक सुझाव देना चाहते हैं कि दस्तावेज रखते समय किसी को भी इन शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, ‘मैं विनती करता हूं।’ उन्होंने कहा, ‘बस यही कहिए कि मैं दस्तावेज सदन के पटल पर रखने के लिए खड़ा हुआ हूं।’
वेंकैया नायडू ने कहा, ‘विनती करने की जरूरत नहीं….यह स्वतंत्र भारत है। यह मेरा सुझाव है, आदेश नहीं।’ सभापति ने सत्र के पहले दिन दिवंगत पूर्व सदस्यों के योगदान का उल्लेख अपने स्थान पर खड़े होकर किया। उनके पूर्ववर्ती हामिद अंसारी और भैरो सिंह शेखावत प्राय: ऐसे उल्लेखों को अपने स्थान पर बैठ कर ही पढ़ते थे। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी इस तरह के श्रद्धांजलि उल्लेखों को अपने स्थान पर खड़े होकर ही पढ़ती हैं। नायडू इस साल अगस्त में भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति बने थे।