DSP शैलेन्द्र सिंह की बहाली को लेकर आई बड़ी खबर…
पूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी पर पोटा लगाने वाले DSP शैलेन्द्र सिंह की चल रही थी बहाली की मांग
पूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी से साल 2004 में पंगा लेने वाले तत्कालीन DSP शैलेन्द्र सिंह की बहाली को लेकर सोशल मीडिया पर तेजी से मांग उठ रही है.
लोगों का कहना है कि, जब डीएसपी शैलेन्द्र सिंह निर्दोष हैं और उनपर दर्ज सभी मुकदमे योगी सरकार ने वापस ले लिए हैं तो अब सरकार उनकी बहाली करें. लेकिन डीएसपी शैलेन्द्र सिंह की बहाली अब नहीं हो सकती है. इसके पीछे बड़ा कारण है.
ये भी पढ़ें..भ्रष्ट पुलिसकर्मियों पर चला कमिश्नर का डंडा, थाना प्रभारी समेत सिपाही सस्पेंड…
नहीं हो सकती है शैलेन्द्र सिंह की बहाली
दरअसल DSP शैलेन्द्र सिंह को इसलिए बहाल नहीं किया जा सकता है क्योंकि उन्होंने खुद इस्तीफा दिया था. जब कोई खुद इस्तीफा देता है तो भविष्य में उसकी उसकी बहाली नहीं की जा सकती है.
वहीं सोशल मीडिया पर जिन लोगों के उदाहरण दिए जा रहे हैं उनके बारे में बता दें कि, आईपीएस दावा शेरपा, बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे और ने वीआरएस लिया था जबकि महाराष्ट्र पुलिस के असिस्टेंट इंस्पेक्टर सचिन वाझे को निलंबित किया गया था इसलिए उनकी बहाली हो सकती है.
डीएसपी शैलेन्द्र सिंह ने खुद दिया था इस्तीफा…
बता दें कि जनवरी, 2004 में यूपी एसटीएफ की वाराणसी यूनिट के प्रभारी डिप्टी एसपी (DSP) शैलेंद्र सिंह ने बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से पहले मुख्तार अंसारी के एलएमजी खरीदने का राजफाश किया था।
उन्होंने लाइट मशीनगन (एलएमजी) बरामद कर मुख्तार अंसारी के विरुद्ध पोटा भी लगाया था। इस पर तत्कालीन सरकार में हंगामा मच गया और शैलेंद्र सिंह पर मुकदमा वापस लेने के लिए दबाव बनाया जाने लगा। जिसके बाद शैलेंद्र सिंह ने यूपी पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया।
डीएसपी ने बताई घटना
DSP शैलेन्द्र सिंह ने फेसबुक पर लिखा है कि, “2004 में जब मैंने माफिया मुख्तार अंसारी पर LMG केस में POTA लगा दिया था, तो मुख्तार को बचाने के लिए तत्कालीन सरकार ने मेरे ऊपर केस खत्म करने का दबाव बनाया। जिसे न मानने के फलस्वरूप मुझे डिप्टी एसपी पद से त्यागपत्र देना पड़ा था।
इस घटना के कुछ महीने बाद ही तत्कालीन सपा सरकार के इशारे पर, राजनीति से प्रेरित होकर मेरे ऊपर वाराणसी में आपराधिक मुकदमा लिखा गया और मुझे जेल में डाल दिया गया। लेकिन जब माननीय योगी जी की सरकार बनी तो, उक्त मुकदमे को प्राथमिकता के साथ वापस लेने का आदेश पारित किया गया, जिसे माननीय सीजेएम न्यायालय द्वारा 6 मार्च, 2021 को स्वीकृति प्रदान की गई।
सीएम योगी का किया था आभार…
न्यायालय के आदेश की नकल आज ही प्राप्त हुई। मैं और मेरा परिवार योगी जी की इस सहृदयता का आजीवन ऋणी रहेगा। संघर्ष के दौरान मेरा साथ देने वाले सभी शुभेक्षुओं का, हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।”
ये भी पढ़ें..लखनऊ समेत यूपी के इन शहरों में लगा नाइट कर्फ्यू, पुलिस की रहेगी पैनी नजर…
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं…)