मां-बाप की एक छोटी सी गलती से पैदा होते हैं किन्‍नर बच्चे, भूल से भी न करें ऐसा काम…

किन्नरों का जन्म आज भी समाज के बीच एक रहस्य बना हुआ है...

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किसी किन्नर को देखकर कुछ सवाल ऐसे हैं जो सभी लोगों के ज़हन में आते हैं। जैसे कि यह कैसे रहते होंगे? और इनकी शारीरिक इच्छाएं क्या होती होंगी। क्या ऐसा इनके मां-बाप में कमी के कारण होता है?।

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किन्नरों का जन्म एक रहस्य

 

दरअसल समाज में किन्नरों के रहन सहन जीने का तौर तरीके सब कुछ एकदम अलग है। किन्नरों का जन्म आज भी समाज के बीच एक रहस्य बना हुआ है, उनके जन्म से जुडी होती है इनकी पहचान, लैंगिक रूप से नर और नारी के बीच होते है किन्नर।

कैसे जन्म लेते हैं किन्नर

देखा जाए तो शारीरिक रूप से नर होते है किन्नर लेकिन कुछ स्त्री भी होती है। लेकिन आज तक यह पता नहीं लगाया जा सका है कि आखिरकार किन्नरों का जन्म क्यों होता है। अगर बात करें ज्योतिष शास्त्र और पुराणों की तो किन्नरों के जन्म को लेकर इनके भी कई अलग-अलग दावे हैं।

ज्योतिषशास्त्र में छिपे है राज

किन्नर का जन्म

आज हम आपको बताएंगे की ज्योतिषशास्त्र में कुछ ऐसे राज बताए गए हैं जो बताते हैं कि एक किन्नर के किन्नर होने का कारण क्या होता है । वहीं आपको ये भी बता दें कि व्यक्ति की कुंडली से हम ये भी बता सकते हैं कि उसमें कितनी प्रजनन क्षमता है। किसी व्यक्ति के नपुंसक होने का प्रमाण उसकी कुंडली भी दे सकती है।

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गृहो की चाल से भी होता है किन्नर का जन्म

जिस तरह से ज्योतिष शास्त्र में जन्मपत्री के आठवें घर में शुक्र और शनि मौजूद हों और इन्हें गुरू, चन्द्र नहीं देख रहे हों तो व्यक्ति नपुंसक हो सकता है उसी प्रकार ज्‍योतिष में ये भी बताया गया है कि आखिर क्‍यों और किस योग के बनने से किन्‍नर जन्‍म ले लेते हैं।

किन्नर का जन्म कैसे होता है

धार्मिक मान्यता के अनुसार किन्नर के पैदा होने का कारण जन्म के समय कुंडली में शनि छठे या बारहवें घर में, कुंभ या मीन राशि पर हों और ऐसे में कोई शुभ ग्रह शनि को नहीं देख रहा हो तो व्यक्ति में प्रजनन क्षमता की कमी हो जाती है और व्यक्ति किन्नर हो सकता है।

मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु, कुंभ आदि राशि में मंगल हो और इसकी दृष्टि लग्न स्थान यानी पहले घर या पहले घर के स्वामी पर हो,तो व्यक्ति में अविकसित जननांग हो सकता है

ये है किन्नर के होने का सांइटिफिक कारण

वीर्य की अधिकता होने से पुरूष संतान और रक्त की अधिकता से कन्या संतान की प्राप्तिट होती है, लेकिन जब गर्ध धारण में रक्त और रज की मात्रा बराबर हो जाती है तो व्यक्ति नपुंसक पैदा होता है। इसके कारण भी किन्नर का जन्म हो जाता हैं।

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