ये है सीएम योगी के गौशालाओं की हकीकत,भूख से हो रही है बेजुबानों की मौत !
प्रतापगढ़ — सूबे में भाजपा की सरकार बनने के बाद सरकार ने अवैध स्लाटर हाउसों को बंद कर दिया जिसके बाद गायो और साङो की बाढ़ सी आ गयी।
शहर से लेकर गावो तक साड़ो के हमले से तमाम लोग घायल हुए तो वही गावो में किसानों की फसल साड़ो के झुंड चट करने लगे इस समस्या से निजात दिलाने के लिए सूबे की सरकार ने एक फरमान जारी किया की हर ब्लाक में एक गौशाला स्थापित की जाएगी।
सीएम योगी के आदेश के बाद लगभग 3 माह पहले इस पर अमल भी शुरू हुआ जिसके तहत प्रतापगढ़ के सभी ब्लाकों में गौशाला का निर्माण कराया गया और गोवंश को रखने की व्यवस्था की गई इसका पूरा जिम्मा प्रधानों पर छोड़ दिया गया। लगातार गौशाला में गोवंश को बसाया गया लेकिन उनके खाने-पीने और रहने की कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई। गांव का प्रधान जन सहयोग से इनके खाने की व्यवस्था किसी तरह करता रहा। लगातार बढ़ते खर्च से प्रधानों ने भी गौशालाओं की उपेक्षा करना शुरू कर दी एक करोड़ का बजट तो आया जिले में लेकिन अभी तक प्रधानों के खाते में धन का आवंटन पूरी तरीके से नहीं किया जा सका। जिसके चलते गौशाला में रह रहे गोवंश को खाने और पानी की दिक्कतों का सामना करना पड़ा ।
वहीं गर्मी का प्रकोप जैसे-जैसे बढ़ता गया वैसे-वैसे गोवंश की दिक्कतें भी बढ़ती गई। खाने पीने की समस्या के साथ बड़े साङो के हमले से भी घायल जानवरो की मौत भी हुई। इस पर गांव के प्रधान आलोक सिंह का कहना है कि तत्कालीन वीडियो दिनेश जी के कहने पर मैंने गौशाला शुरु कर दी जिसके बाद यहां ब्लॉक के सभी गांव के जानवरों का आना बदस्तूर जारी है। अभी तक मैं लगभग 14 कुंटल भूसा रोज खरीद कर गायो को खिलाता रहा लेकिन उच्चाधिकारियों के तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है।
आज तक एक पैसे का बजट नहीं आया पानी पड़ोसियों से लेता हूं तो जानवरों को पिलाता हूं डॉक्टर आते है तो जानवरों को सिर्फ टैग लगा कर चले जाते हैं घायल और बीमार जानवरों का इलाज भी नहीं करते है जबकि गौशाला में जानवर लगातार भेजे जा रहे हैं। वही माधोगंज में तीन माह से निर्माणाधीन गौशाला में जानवरों गौवंश के कभी रहे होने के चिन्ह भी नजर नही आये।
इस बाबत जब हमने जिले के सक्रिय समाज सेवी से बात की तो उनका कहना है कि गायों की इस दुर्दशा के लिए सूबे की सरकार और केंद्र सरकार दोनों जिम्मेदार है। जिले में स्थापित सभी गौशालाओं की एक जैसी स्थित है खाने और रहने की स्थिति व्यवस्था नहीं की गई है जिसके कारण उनकी मौत हो रही है। सरकारी धन के बंदरबांट का भी आरोप लगाया।
जबकि जिला अधिकारी प्रतापगढ़ से जब बात की तो उनका कहना है कि जानवरों की मौत की जानकारी है जांच के लिए 3 सदस्य टीम गठित कर दी गई है और सीडीओ को कड़े निर्देश दिए गए कि डॉक्टर से प्रतिदिन जानवरों की जांच कराई जाए। इस गौशाला में क्षमता से अधिक जानवर हो गए हैं जिससे बड़े जानवर छोटे जानवरों पर हमला कर रहे हैं। हमने निर्णय लिया है कि यहां से कुछ जानवरो को दूसरे गौशाला में शिफ्ट किया जाएगा। जिलाधिकारी के यहां तक दावा है कि हमने जानवरों के चारे के लिए प्रधान के खाते में ₹240000 ट्रांसफर कर दिए और जानवरों के लिए चारे पानी पानी के साथ ही गौशाला के पास पड़े प्लाट पर हरे चारे को उगाने की व्यवस्था की जा रही है।
गौरतलब है कि गौशाला में हुई जानवरों की मौत पर एक ओर जहां प्रधान का दावा है कि अपने पास से खर्च कर रहा हूं और आप खर्च करने की क्षमता नहीं रह गई है तो वहीं जिला अधिकारी का दावा है कि प्रधान के खाते में पैसा भेज दिया गया है। सरकारी योजना में किस तरीके की बंदरबांट मची हुई है आप इन दोनों लोगों के बयान से खुद अंदाजा लगा सकते हैं। आप खुद निर्णय करिए कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ।
(रिपोेर्ट-मनोज त्रिपाठी,प्रतापगढ़)