..यहां नियम कानून नहीं खनन माफियाओं का राज कायम रहता है साहब !

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महोबा —  बुन्देलखण्ड के खनन बाहुल्य इलाके महोबा में सरकार किसी की भी हो लेकिन सिक्का खनन माफियाओं का ही चलता है। खनन क्षेत्रो में सरकारी नियम कानून नही माफियाओं का राज कायम रहता है खनन से जुड़े मानक पूरे कराने में सरकारी सिस्टम पूरी तरह फेल है,अवैध खनन का कारोबार खुले आम चल रहा है।

        महोबा जिले में अनियमितता के कारण पत्थर खदानों और क्रेशर मशीनों में हजारों मजदूरों की मौत हो चुकी है व कई आज भी विकलांगता का जीवन जीने को मजबूर है लेकिन किसी भी दोषी खनन माफिया के विरुद्ध कोई कार्यवाही नही हो पाई है,इसका कारण सिर्फ यही है कि पत्थर उद्योग की कमान सत्ता में शामिल ताकतवर लोगों के हाथ मे रहती है जो यहां सिर्फ अपने फायदे के हिसाब से नियम कानून चलाते है।

        जिले में करीब चार सौ स्टोन क्रेशर संचलित है जिनके लिए तीन सौ खनन पट्टो से स्टोन बोल्डर की आपूर्ति होती थी लेकिन वर्तमान में मात्र सत्तर से अस्सी खनन पट्टो में ही खनन करने की वैद्धता बची है किन्तु अवैद्ध खनन के कारण निर्बाध रूप से क्रेशरों में स्टोन बोल्डर की आपूर्ति हो रही है अवैद्ध खनन से निकाले गए पत्थर को बाहर भेजने के लिए मध्यप्रदेश प्रदेश की रॉयल्टी व फर्जी बिलो का खुले आम व्यवसाय चल रहा है खनन व्यापारियों की ताकत के सामने  स्थानीय प्रशासन कुछ भी नही कर पा रहा है।

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           खनन क्षेत्रो में सुरक्षा मानकों को ताक पर रख कर खुलेआम खतरनाक विस्फोटकों से मजदूरों की जान जोखिम में तो डाली ही जा रही है साथ ही वैद्धता समाप्त हो चुकी खदानों में ब्लास्टिंग कराकर बड़ी बड़ी मशीनों से अवैद्ध खनन मुख्यालय से दस किमी की दूरी पर कराया जा रहा है।अवैद्ध खनन इलाको की पहचान न हो सके इसके लिए किसी भी वैद्धता समाप्त खदान में कोई पहचान चिन्ह नही लगाया गया है और वैद्ध खदानों में कोई सीमा चिन्ह भी नही है खनन माफियाओं की सुविधा के लिए नियमो में और भी कई छूट मिली हुई है बिना लाइसेंस के साधारण मजदूरों से ब्लास्टिंग कराना तो आम बात है सब्जी भाजी की तरह यहाँ विस्फोटक का कारोबार चल रहा है।

          खनन माफियाओं के हौसले इस कदर बुलन्द है कि इन्हें किसी बात का डर ही नही है मीडिया और अवैद्ध खनन का विरोध करने वालो को चुनौती देकर काम को अंजाम दिया जा रहा है हालांकि महोबा के नवांगतुक जिलाधिकारी सहदेव ने कई बार अवैद्ध खनन कर्ताओं को पकड़ने का प्रयास किया लेकिन उनके नेटवर्क के सामने सरकारी सिस्टम कमजोर साबित हुआ है।डहर्रा, गंज, जुझार, मकरबई आदि पहाड़ो में खुलेआम अवैद्ध खनन जारी है। जिसे रोकना सरकार के लिए चुनौती पूर्ण कार्य है क्योंकि इस खेल में हमेशा सत्ता में शामिल लोगों का हाथ रहा है जो यहाँ अपनी अलग ही सत्ता चलाते है।

लाल सोने के काले कारोबार में ओझल हुए नियम कानून

(रिपोर्ट-तेज प्रताप सिंह महोबा)

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