उत्तराखंड के इन गावों में इंसान नहीं, रहते हैं ‘भूत’ जानिए गावों के नाम और कहानी

उत्तराखंड की ख़ूबसूरती हमेशा चर्चे में रहती है। लोगों को अक्सर पहाड़ों से भरी वादियाँ पसंद रहती है।

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उत्तराखंड की ख़ूबसूरती हमेशा चर्चे में रहती है। लोगों को अक्सर पहाड़ों से भरी वादियाँ पसंद रहती है।  उत्तराखंड खूबसूरत पहाड़ियों और सनातन हिंदू धर्म की आस्था के प्रतीक चार प्राचीन धामों से जाना जाता है। यहां कई ऐसी कहानियां और लोकेशन हैं जिसके बारे में लोगों को पता नहीं। कई ऐसी दिलचस्प बातें है जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। आपको बता दे कि उत्तराखंड के चंपावत में एक गांव ऐसा भी है जहां इंसान नहीं बल्कि भूत रहते हैं।  एक  समय पर यहां भारी चहल-पहल रहती थी ।लेकिन अब यहां भूतों का डेरा होने की वजह से सन्‍नाटा फैला रहता है।

उत्तराखंड के चम्पावत में 8 भूत 

उत्तराखंड के चम्पावत में एक गांव है जहां भूत रहते हैं। अक्सर ऐसी भूत-प्रेत की कहानी सुनने में अच्छी लगती है लेकिन हकीकत काफी डरावना होता है। चम्पावात  गांव के निवासियों के  कहे अनुसार चंपावत के इस रहस्यमयी गांव में टोटल 8 भूत हैं। वो 8 भूत गांव में किसी इंसान को रहने नहीं देते हैं।चम्पावत के उस गांव का नाम स्वाला है। भूत की कहानी जानकार उस गांव में  लोग भूलकर भी पैर नहीं रखते। यहां कभी इंसान रहते थे, लेकिन आज वहां कोई नहीं रहता।  लोगों ने गांव का नाम बदलकर ‘भूत गांव’ रख दिया है।

भूतिया गांव की कहानी 

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उत्तराखंड के चंपावत के स्वाला गांव की कहानी बहुत डरवानी है ।करीब 63 साल पहले सुरक्षाबलों की एक गाड़ी के गिरने के बाद इसके भूतिया होने की  शुरुआत हो गयी। स्वाला गांव के आस-पास भी कोई इंसानी गांव नहीं है। जानकारी के अनुसार स्वाला  गांव की जमीन ऐसी है कि यहां से गुजरने वाले लोगों को इनके मंदिर में रुक कर आगे बढ़ना होता है।  साल 1952 में सुरक्षाबलों की एक गाड़ी के गिरने वाले हादसे के बाद सब कुछ बदल गया। सुरक्षाबलों की गाड़ी खाई में गिरी उसमें सेना के 8 जवान थे। सूत्रों से पता चला सुरक्षाबलों  ने गांव वालों से मदद की अपील की।  लेकिन  गांव वाले उनकी बातें अनसुनी कर उनके सामान लूटने लगे आठों सुरक्षाबलों की गाड़ी पलटने के कारण मौत हो गयी। गांव के लोगों का अनुमान है की वहां पर उन 8 जवानों की आत्मायें निवास करती हैं। जिसके कारण उस गांव में कोई इंसान नहीं रह पाता।

उत्तराखंड के ये भी गांव हैं भूतहा

उत्तराखंड में सैकड़ों गांव भूतहा हैं और इससे जुड़ी कहानी काफी डरावनी और दिलचस्प है। इस गांव की भूतहा होने का कारण दूसरे प्रदेशों में हुआ पलायन है। गांव में संसाधनो की कमी एवं प्राकृतिक आपदाओं के कारण लोग अन्य प्रदेशों में जाकर बस गए। जिसके कारण 1700 गांव खाली हो गए और लोग उन्हें भूतिया बुलाने लगे। सरकारी आकड़ों के मुताबिक 2020 में 27 हजार लोग अपने गांव वापस लौटे।  भूतहा वाले गांवों की बात करें तो इस सूची में बलूनी गांव भी शामिल है। जहां अभी तक कोई भी वापस नहीं लौटा।  2011 की जनसँख्या  के मुताबिक यहां की आबादी सिर्फ 32 लोगों की थी। फिर इस गांव को भी भूतहा करार दिया जाने लगा। इसी तरह रूरल डेवलपमेंट एंड माइग्रेंट कमिशन की वेबसाइट के मुताबिक कुछ गांवों में 100 से भी कम लोग रहते हैं। यानी बाकी जिले के गांवों की सूरत भी ऐसी है जहां 80% से ज्‍यादा आबादी का पलायन हुआ।

 

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