महाक्रान्ति की इस नायिका के नसीब में श्रद्धा के दो फूल भी नहीं
देशभक्ति से सराबोर कविता ‘शहीदों की मजारों पर जुड़ेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा‘ की ये पंक्तियां आज भी देश में प्रसिद्ध हैं। लेकिन इन पंक्तियों के लेखक को शायद तनिक भी आभास नहीं रहा होगा कि वतन पर मर…