फटेहाल ज़िंदगी गुजारने को मजबूर एक द्रोणाचार्य, किसी ने नहीं ली इनकीं सुध
बाबा के प्रयासों से ही क्षेत्र के 12 से अधिक खिलाड़ी फुटबॉल की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं तक पहुंचे हैं। कई लोग सेना समेत अन्य विभागों में अच्छे पदों पर कार्यरत हैं। इसके बावजूद संकट काल में बाबा को किसी की मदद नहीं मिल सकी।