चीनी विदेश मंत्री से मिली सुषमा स्वराज, उठाया ये मुद्दा 

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न्यूज डेस्क –भारत ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को दुनिया में शांति तथा सुरक्षा के लिए खतरा और वैश्विक अर्थव्यवस्था तथा विकास के रास्ते में बाधा करार देते हुए इससे निपटने के लिए एक व्यापक नीति बनाने की जरूरत बताई है।

भारत, चीन और रूस ने आज आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में सहयोग को मजबूत बनाने का संकल्प लिया जिसमें आतंक के वित्त पोषण को खत्म करना और आतंकवाद के आधारभूत ढांचे को समाप्त करना शामिल है। भारतीय पक्ष ने लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों की ओर से आतंकी घटनाओं में वृद्धि पर चिंता व्यक्त ।

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रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की यहां 15वीं बैठक के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, वांग यी और सर्गेई लैवरोव ने आतंकवाद और कट्टरपंथ को रोकने और मुकाबला करने की प्राथमिक और मुख्य जिम्मेदारी को रेखांकित किया। इन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सभी देशों को अपने क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों को रोकने की दिशा में पर्याप्त कदम उठाना चाहिए।

सुषमा ने कहा कि आतंकवाद की चर्चा करते हुए मैंने तालिबान, अल कायदा, दायेश (आईएसआईएस) और एलईटी जैसे आतंकी संगठनों की गतिविधियों में महत्वपूर्ण वृद्धि के संदर्भ में अपनी बात रखी जो अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की स्थिति को कमतर करते हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और सतत विकास एवं वृद्धि सुनिश्चित करने के प्रयासों को खतरे में डालते हैं। 

अपने बयान में आरआईसी नेताओं ने कहा कि हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि कोई भी आतंकी गतिविधि आपराधिक और अनुचित है, चाहे उसका इरादा कुछ भी हो। तीनों देशों के नेताओं ने आतंकवाद की बुराई से निपटने के लिए अंतराष्ट्रीय समुदाय से समन्वित कदम उठाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गठजोड़ करने तथा वृहद एकजुटता दिखाने का आह्वान किया जो अंतर्राष्ट्रीय कानून एवं संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप हो। इसमें देशों की सम्प्रभु समानता के सिद्धांत एवं अंतरराष्ट्रीय मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने पर जोर दिया।

 

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