सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने बचाई यूपी के एक लाख से ज्यादा शिक्षकों की नौकरी

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न्यूज डेस्क — सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यूपी के एक लाख से ज्यादा सहायक शिक्षकों को बड़ी राहत दी है.दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए अपना फैसला सुनाया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि जिन लोगों का टीईटी रिजल्ट पहले आया और बीएड या बीटीसी का रिजल्ट बाद में आया उनका टीईटी प्रमाण पत्र वैध नही माना जाएगा. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 2011 और उसके बाद यूपी में हुए सभी टीईटी परीक्षाओ और नियुक्तियों पर लागू होता है.

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हाईकोर्ट के आदेश के बाद से लगभग एक लाख से ज्यादा सहायक शिक्षकों की नौकरी जाने की आशंका थी, लेकिन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन शिक्षकों ने राहत की सांस ली है. हाई कोर्ट के इस निर्णय से सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत एवं 2012 से 2018 के बीच नियुक्त एक लाख से अधिक उन शिक्षकों को राहत मिली है जो हाईकोर्ट के आदेश से प्रभावित हो रहे थे.

आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 मई के अपने आदेश में बेसिक शिक्षा अधिकारियों से कहा था कि जिन शिक्षकों के प्रशिक्षण का परिणाम उनके टीईटी रिजल्ट के बाद आया है उनका चयन निरस्त कर दें. हालांकि इस मसले पर अब तक सरकार ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है. एक अनुमान के अनुसार ऐसे शिक्षकों की संख्या एक लाख से अधिक है जिनका ट्रेनिंग का परिणाम टीईटी के बाद घोषित हुआ था. इस आदेश का असर वर्तमान में चल रही 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती पर भी पड़ने वाला था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से प्रभावित शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 

वहीं चयनित शिक्षकों का कहना था कि उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी-टीईटी) के लिए 4 अक्टूबर 2011 और 15 मई 2013 को जारी शासनादेश में इस बात का जिक्र नहीं था कि जिनके प्रशिक्षण का परिणाम टीईटी के बाद आएगा उन्हें टीईटी का प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा.

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