श्रमदान के नाम पर छात्रों से मजदूरों जैसा काम !

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फर्रूखाबाद– प्रदेश सरकार शिक्षा का स्तर सुधारने की लाख कोशिश कर ले, लेकिन फर्रुखाबाद के शिक्षा अधिकारी उनकी इस कोशिस को ताक पर रखा कर काम कर रहे है । मामला विकास खण्ड कमालगंज क्षेत्र गांव कुंअरापुर में बने प्राथमिक विधालय का है ।

जहा टीचर स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों से मजदूरों का काम करा रहे है । प्राथमिक विधालय में बच्चो के द्वारा शौचालय के लिए गढ्ढा खुदवाया गया फिर उन्ही से निकाली गई मिट्टी को तसले में भरकर दूसरी जगह डलवाया गया।जैसे ही मीडिया का कैमरा मजदूरों का काम कर रहे बच्चों की तरफ चला कि शिक्षक आग बबूला हो गए उन्होंने यह कहा कि श्रमदान के लिए आदेश आया है।उसी के तहत काम कराया जा रहा है।जबकि श्रमदान का जो आदेश आया है उसमें शिक्षक बच्चो के साथ मिलकर स्कूल की सफाई करना है न की फावड़ा चलवाना और न ही मजदूरों जैसा काम करवाना ।

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स्कूल में बच्चों के लिए खाना बनाने वाली धनदेवी का कहना है कि यहां के शिक्षक बच्चो को लालच देकर बच्चो से मजदूरी कराते हैं।मिट्टी डलवाने के साथ ईट को ढुलबाते है जो शौचालय बने उन पर पानी डलवाते है।शिक्षकों ने तो बच्चो को पैसा बचाने के चक्कर मे मजदूर बना दिया है।वही इस बाल मजदूरी को लेकर बीएसए रामसिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जब देश के प्रधानमंत्री झाड़ू लगाते है तो बच्चे श्रमदान कर रहे है तो क्या हुआ उसके लिए शासन से आदेश मिला है उसी वजह से शिक्षक स्कुलो में बच्चो से काम करा रहे है।

उन्होंने मीडिया को ही नसीहत देते हुए कहा कि जाने कहा से बिना जानकारी के खबर पर बयान लेने आ जाते हो।जबकि जो आदेश आया है कि स्कूल में सफाई बनाये रखने के लिए श्रमदान कराया जाए जिसमे बच्चे व शिक्षक मिलकर एक साथ स्कूल की सफाई करे।लेकिन बीएसए को यह नही मालूम कि बच्चों से मजदूरों जैसा काम नही करा सकते है।जिले में बहुत से प्राथमिक विधालयो में शिक्षक खुद तो कुर्सी पर बैठे रहते है।लेकिन बच्चो से मजदूरों वाला काम कराते हैं।अभी तक किसी भी शिक्षक पर कोई कार्यवाही नही की गई है।

बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष संजीव गंगवार ने बताया कि जिस प्रकार से वीडियो में बच्चो से काम कराया जा रहा है वह विल्कुल गलत है।जो उस स्कूल में शिक्षक पढा रहे है उनके बच्चे किसी कान्वेंट स्कूल में पढ़ रहे होंगे यदि उनके बच्चों से भी मजदूरों जैसा काम कराया जाए तो यही शिक्षक आसमान सिर पर उठा लेंगे।जबकि कोर्ट ने आदेश भी दिया था कि सभी के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ेंगे लेकिन ऐसा नही हो रहा है।

(रिपोर्ट-दिलीप कटियार, फर्रूखाबाद)

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