यूपीः ‘जेल कर्मियों की व्यथा’
न्यूज डेस्क — कारागार अधिकारी और कर्मचारियों के लिए दो ही विकल्प हैं या तो मौत या षड्यंत्र के तहत सस्पेंड करके विभागीय जांच…
दरअसल जिला कारागार प्रतापगढ़ के हेड जेल वार्डन हरि नारायण त्रिवेदी की हत्या के अपराधी खुलेआम निडर घूम रहे हैं क्योंकि ना तो किसी को ऐसे अपराधियों को पकड़ने की चिंता है और ना ही जेल के अंदर हो रहे हैं संगठित अपराधियों के जमावड़े को रोकने की रणनीति बनाने की।अपना नाम न छपने के डर से एक जेल अफसर ने बताया कि अक्सर हम जेल अधिकारियों की निर्मम हत्या की खबरें पढ़ते रहते हैं ।रायबरेली जेल के अधिकारियों को शुक्र मनाना चाहिए कि उनकी एकता ने उनकी जान बचा ली। भले ही उन्हें इस काम के लिए सस्पेंड कर दिया गया।
जेल के अंदर जघन्य अपराधी हो य अपराधी राजनेता वह पूरी सुविधा चाहते हैं ,जो धमकी और पैसे के बल पर ले सकते। अपराधी जेल के अंदर ऐसा माहौल बनाने की कोशिश करते हैं ताकि वह संगठित होकर वहां भी अपनी दबंग और रसूखदार प्रीति के झंडे गाड़ सकें। कोई भी जेल कर्मचारी या अधिकारी अगर इनके खिलाफ जाने की कोशिश करता है या इनकी दी हुई आज्ञा का पालन नहीं करता है तो उसे या तो जान से मरवा दिया जाता है या कुचक्र रच कर वीडियो और फोटो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करके मनाया जाता है।
फिर भी ना माने तो सरकार पर अपनी पहुंच दिखाकर उन्हें सस्पेंड करा दिया जाता है और यहां भी सफल ना हुए तो सस्पेंड कराने का कुचक्र रच खुद के बनाए हुए वीडियो और ऑडियो वायरल कराकर वीडियो और पत्रकारों की मदद से ऐसी खबरें पेपर में छप पाई जाती है ताकि यह लगे कि अधिकारी कितने भ्रष्ट हैं।
ऐसा होने से उन्हें सस्पेंड कर दिया जाएगा, उनके खिलाफ आजीवन जान चलेगी और अपराधी अपने आगे खिलाफी करने वालों को सरकार से दंडित कराने में सफल हो जाएंगे। अगर इससे भी बात नहीं बने तो सुबह की सैर करते, चलते, पार्क में टहलते, यह घर से बाहर निकलते ही , उन्हें अपने पहुंच और बाहरी तंत्र में तैनात अपने रसूख से मरवा दिया जाएगा।
हमारी व्यवस्था कितनी पंगु होती जा रही है कि हम जेल में तैनात अधिकारियों की भी सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं तो आम जनता की सुरक्षा तो बहुत दूर की बात है। कब कौन किसे गोली मार कर चला जाए और हम कहते हैं कि अपराधियों की तलाश जारी है। सरकार वाकई अगर ऐसे अपराधियों और अपराध पर अंकुश लगाने के लिए जागरूक है तो ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से काम करने वाले ,जेल के अंदर व्याप्त अपराधी एकीकरण को तोड़कर स्थानांतरण करने वाले अधिकारी और कर्मचारी दंडित क्यों किए जाते हैं ??
जांच के नाम पर महीनों उन्हें सस्पेंड रखा जाता है जबकि यह सभी जानते हैं कि रायबरेली जेल में हुआ मामला सिर्फ और सिर्फ एक कुचक्र था जो उन अपराधियों ने जेल के अधिकारी और कर्मचारी की एकता को तोड़ने के लिए किया। क्योंकि अपराधियों को दूसरे जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था ताकि एकजुट होकर किसी संगठित अपराध को जन्म ना दे सकें। इस प्रकरण के हर पहलू की जानकारी उच्चाधिकारियों के दी गई थी फिर भी उच्च अधिकारी आंख और कान बंद करके किस अपराधिक घटना का इंतजार कर रहे थे। वहां भी डिप्टी जेलर को जान से मारने की धमकी दी गई थी।
रायबरेली जेल के अधिकारी और कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह ना करके ऐसे कुख्यात अपराधियों के एकीकरण को तोड़कर उन्हें कई जिलों में स्थानांतरित कर दिया जिससे जेल के अधिकारियों जान तो बच गई परंतु वह खुद अपराधियों की श्रेणी में शामिल हो गए। जांच के घेरे में आए क्या राज्य सरकार अपने अधिकारियों और कर्मचारियों की सुरक्षा और संरक्षण की गारंटी नहीं ले सकती ?
क्या कर्मचारी संगठन अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए कोई आवाज नहीं उठाएंगे ? और अगर ऐसा ना हुआ तो निश्चित रूप से अपराधिक मानसिकता को संरक्षण देकर सरकार कहीं न कहीं अपने ईमानदार और कर्तव्य निष्ठ अधिकारियों को काल के गाल को समर्पित करती जाएगी।
उत्तर प्रदेश में यदि कानून का राज स्थापित करना है तो सबसे पहला कदम अपने जांबाज सुरक्षा कर्मी, कर्मचारी और अधिकारियों के जीवन को सुरक्षित करना होगा।उन्हें मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना से बचाना होगा । सरकार को ध्यान देना होगा कि अपराधियों के अपराधिक षड्यंत्र का शिकार होकर अपना सर्वोच्च बलिदान करने वाले हमारे जांबाज किसी अन्य का शिकार ना हो।
अफसोस जनक है कि आज लोकतंत्र में अपराधियों का जो बोल वाला चल रहा है क्या सरकार ने उनके अधीन रहना ही स्वीकार कर लिया है?? कारागार विभाग और कारागार कि अगर कोई यूनियन है तो उन्हें संगठित अपराधियों से निपटने के लिए सटीक रणनीति अपनानी होगी अन्यथा इस तरह हम हर दूसरे दिन किसी न किसी अधिकारी, कर्मचारी के प्राणों की आहुति बिना प्रयोजन देते रहेंगे और शायद इस घटना को छुपाने के लिए पत्रकारों और मीडिया पर दबाव ही बनता रहेगा।
कारागार कर्मचारी और अधिकारी आज सहमे हुए हैं और निष्पक्ष होकर कार्य नहीं कर पा रहे उन्हें इस बात की चिंता है कि कब किस जेल में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी की हत्या हो जाए पता नहीं और अगर हत्या से बच गए अपराधिक षड्यंत्र के तहत कब हुई सस्पेंड कर दिया जाए इसका भी पता नहीं कारागार मंत्री ,कारागार कर्मचारी संगठन , कर्मचारी और अधिकारी विचार करें।
(रिपोर्ट-अनाम जेल अफसर)