…जब ‘यूपी समाचार’ की टीम ने जिला अस्पताल में देखा बदहाली का मंजर
बलिया–कड़ाके की ठंड में जान बचा कर चैन की नींद सोने के लिए सबसे ज्यादा जरूरत होती है तो कम्बल की| ऐसे में गलन बढ़ने के साथ ही जब यूपी समाचार की टीम बलिया जिला अस्पताल पहुंची तो वहां इमरजेंसी वार्ड में ज्यादातर मरीजों के बेड पर न तो बेडसीट था न ही कम्बल|
पता चला की जब तक मरीज कम्बल मांगेगा नहीं, तब तक उसे कम्बल नही दिया जायेगा| दरअसल ये सिस्टम का वो निक्कमापन है जिसका दर्द बलिया जिला अस्पताल के मरीज झेलने को मजबूर है| पढ़िए ये रिपोर्ट…
बदलते मौसम के साथ ही सर्द हवाओ से जूझना आम आदमी के लिए जितना मुश्किल है उससे कही ज्यादा मुस्किल उस बदहाल सिस्टम से, कुछ पाने की उम्मीद करना| जी हाँ जहाँ एक तरफ कड़ाके की ठंड से लोग बेहाल है। वही जब यूपी समाचार की टीम बलिया जिला अस्पताल पहुंची तो सरकारी सिस्टम की बदहाली देख आंखे खुली की खुली रह गयी | बलिया जिला चिकित्सालय के इमरजेंसी वार्ड में आलम ये था की किसी भी बेड पर न तो बेडसीट थी और न ही कम्बल| जिन्दगी और मौत से जूझते मरीजो के लिए सरकारी अस्पताल में कम्बल और बेडसीट जैसी सुविधाओं के लिए लाखो करोड़ों रूपये खर्च कर दिए जाते है पर अफ़सोस इतना की मरीजो को न तो बेडसीट मिलती है और न ही कम्बल| मरीजो का आरोप है कि जिला अस्पताल के तरफ से खाना तो छोड़िये एक गिलास दूध तक नहीं मिलता, शुक्र मनाईये की सिर्फ जान बच जाये|
ऐसा भी नही की जिला चिकित्सालय में बेडसीट और कम्बल न हो, पर ये दोनों ही चीज़े आखिरकार मरीजो को क्यों नही मिलती ये जान कर आप भी हैरान हो जायेंगे| जब यूपी समाचार की टीम ने इमरजेंसी वार्ड में मौजूद स्वास्थकर्मी से पूछा तो उसका जवाब था की जब तक मरीज कम्बल और बेडसीट की डिमांड नही करेगा तब तक उसे नहीं दिया जायेगा। जबकि जिला चिकित्सालय के सी.एम.एस. का कहना है की जब तक इमरजेंसी वार्ड के तरफ से डिमांड नही आयेगी तब तक कम्बल और हीटर नही दिया जायेगा| यानि जिन्दगी और मौत से जूझता मरीज बेजान सिस्टम के डिमांड के मकड़जाल में फंसा रहे क्योंकी सिस्टम में बैठे लोग जब खुद हीटर की गर्मी ले रहे हों तो मरीजो की ठण्ड का एहसास उन्हें कैसे होगा|
(रिपोर्ट-मनोज चतुर्वेदी, बलिया)