महाराष्ट्र में सियासी भूचालः दो दशक बाद NCP के अध्यक्ष पद से हटे पवार, जानें कैसे बनाई पार्टी और कैसा रहा सफर
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने का एलान कर दिया। शरद पवार ने अपने इस्तीफे में कई भावनात्मक बातें कही हैं। हालांकि, पवार ने कुछ दिनों पहले इसको लेकर इशारा भी किया था। 24 साल पहले बनी पार्टी में इसके साथ एक नए युग की शुरुआत का आगाज हो सकता है। आइये जानते हैं शरद पवार ने NCP कैसे बनाई? अब तक जिन चुनावों में पार्टी ने हिस्सा लिया उनमें उसका प्रदर्शन कैसा रहा है?
एनसीपी का गठन 10 जून 1999 को शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर ने मिलकर किया था। इसके बनने के पीछे एक बड़ा सियासी घटनाक्रम है। दरअसल, सोनिया गांधी ने जब राजनीति में कदम रखा और उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बनाने तैयारी शुरू हुई तो शरद पवार समेत कुछ नेताओं ने इसका विरोध किया। इसके बाद, कांग्रेस ने पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। तीनों नेताओं ने मिलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) बनाई। पवार एनसीपी के अध्यक्ष चुने गए। पीए संगमा और तारिक अनवर पार्टी महासचिव बनाए गए।
एनसीपी को महाराष्ट्र में अपनी सबसे बड़ी चुनावी सफलता मिली। अक्तूबर 1999 में राज्य विधानसभा के चुनाव में एनसीपी तीसरे स्थान पर रही। पार्टी ने 223 सीटों में से 58 सीटों पर जीत हासिल की। जिस कांग्रेस से बगावत करके पवार ने एनसीपी बनाई उसी के साथ गठबंधन करके राज्य में सरकार बना ली। इसके बाद 2004 में, केंद्र सरकार का हिस्सा बनने के लिए पार्टी यूपीए में भी शामिल हो गई। शरद पवार ने 2004-2014 तक यूपीए सरकार में मंत्री रहे।
2004 के विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र में एनसीपी ने 124 सीटों पर चुनाव लड़ी। उसे 71 सीटों पर जीत मिली। हालांकि, 2009 के विधनानसभा चुनावों में पार्टी को 62 सीटों पर जीत मिली। 2007 के गोवा विधानसभा के चुनावों में, NCP ने तीन सीटों पर कब्जा किया। हालांकि, अगले विधानसभा चुनावों में उसे कोई सीट नहीं मिली।राष्ट्रीय स्तर पर, पार्टी ने 1999 में लोकसभा में आठ सीटें और 2004 और 2009 चुनावों में नौ-नौ सीटें जीतीं। इस बीच, पार्टी को पूरे देश में एक छोटा और निश्चित वोट प्रतिशत मिलता रहा। 2004 में यह 1.8 प्रतिशत था जिसमें 2009 में लगभग 2 प्रतिशत तक थोड़ा सुधार हुआ। 2009 में पार्टी ने महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों में 46 उम्मीदवार उतारे जिनमें से उसे 45 सीटों पर हार मिली।
राष्ट्रीय स्तर पर एनसीपी को समय-समय पर बगावत भी झेलनी पड़ी। 2002 में केरल में एक समूह ने पार्टी से नाता तोड़ लिया और दूसरा गुट 2004 में छत्तीसगढ़ में इससे अलग हो गया। सबसे बड़ा झटका इसे संस्थापक पीए संगमा ने दिया, जिन्होंने 2004 में अपनी मेघालय इकाई अलग कर ली। बाद में वह पार्टी में लौट आए, लेकिन 2012 में संगमा ने हमेशा के लिए पार्टी को अलविदा कह दिया। दरअसल, पवार ने यूपीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी को समर्थन दे दिया था। मुखर्जी के सामने संगमा भी खड़े थे, जो बड़े अंतर से हार गए। 2013 की शुरुआत में संगमा ने नेशनल पीपुल्स पार्टी बना ली।
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