पत्रकारिता का जूनून : आधुनिक युग में एक पत्रकार ऐसा भी…

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न्यूज़ डेस्क– मुज़फ्फरनगर में एक पत्रकार ऐसा भी है जिसके पास न अपनी छपाई मशीन है, न कोई स्टाफ और न सूचना क्रांति के प्रमुख साधन-संसाधन। मात्र कोरी आर्ट शीट और काले स्केज ही उसके पत्रकारिता के साधन हैं।

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तमाम शहर की दूरी अपनी साईकिल से तय करने वाले और एक-एक हफ्ता बगैर धुले कपड़ों में निकालने वाले इस पत्रकार का नाम है दिनेश। जो गाँधी कालोनी का रहने वाला है। हर रोज अपनी रोजी रोटी चलाने के अलावा दिनेश पिछले सत्रह वर्षों से अपने हस्तलिखित अख़बार “विद्या दर्शन” को चला रहा है। प्रतिदिन अपने अख़बार को लिखने में दिनेश को ढाई-तीन घंटे लग जाते हैं। लिखने के बाद दिनेश अखबार की कई फोटोकॉपी कराकर शहर के प्रमुख स्थानों पर स्वयं चिपकाता है। हर दिन दिनेश अपने अख़बार में किसी न किसी प्रमुख घटना अथवा मुद्दे को उठाता है और उस पर अपनी गहन चिंतनपरक निर्भीक राय रखते हुए खबर लिखता है। पूरा अख़बार उसकी सुन्दर लिखावट से तो सजा ही होता है साथ ही उसमें समाज की प्रमुख समस्याओं और उनके निवारण पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है।

सुबह से शाम तक आजीविका के लिये हार्डवर्क करने वाले दिनेश को अख़बार चलाने के लिये किसी भी प्रकार की सरकारी अथवा गैर सरकारी वित्त सहायता प्राप्त नहीं नहीं है। गली-गली आइसक्रीम बेचने के जैसे काम करके दिनेश अपना जीवन और अख़बार चलाता है। अपने गैर विज्ञापनी अख़बार से दिनेश किसी भी प्रकार की आर्थिक कमाई नहीं कर पाता है। फिर भी अपने हौसले और जूनून से दिनेश निरंतर सामाजिक परिवर्तन के लिये अख़बार चला रहा है। श्रम साध्य इस काम को करते हुए दिनेश मानता है कि भले ही उसके पास आज के हिसाब से साधन-संसाधन नहीं हैं और न ही उसके अख़बार का पर्याप्त प्रचार-प्रसार है फिर भी यदि कोई एक भी उसके अख़बार को ध्यान से पढता है अथवा किसी एक के भी विचार-परिवर्तन में उसका अख़बार रचनात्मक योगदान देता है तो उसका अख़बार लिखना सार्थक है।

दिनेश बचपन से ही समाज के लिए कुछ करना चाहते थे। वो वकालत की पढ़ाई करना चाहते थे, मगर आर्थिक स्थिति इसकी इजाज़त नहीं दे रही थी। आठवीं तक पढ़ाई करने के बाद दिनेश ने काम करना शुरु कर दिया। काम करने के अलावा वो सामाजिक काम भी करते रहे। वो अपनी बात और सोच को समाज के बीच प्रमुखता से लाना चाहते थे। ऐसे में दिनेश ने हाथ से ही लिखकर अपना अख़बार चलाना शुरु कर दिया। दिनेश रोज़ सवेरे 10 बजे जिलाधिकारी कार्यालय आते हैं और 3 घंटे में अपनी ख़बर लिखते हैं। उसके बाद अपने काम चले जाते हैं। 

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