राहुल की इफ्तार पार्टी में माया समेत अखिलेश रहे नदारद,लग रहे ये कयास..!

0 21

न्यूज डेस्क —  कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ से बुधवार को दिल्ली के ताज होटल में इफ्तार पार्टी दी गई. इस पार्टी में कांग्रेस की तरफ से सभी विपक्षी दलों को आमंत्रित किया गया था, बावजूद इसके विपक्ष के किसी बड़े नेता ने पार्टी में शिरकत नहीं की. यूपी चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन करने वाले सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी नदारद रहे.

हालांकि इस इफ्तार पार्टी में बसपा समेत सिर्फ 10 दलों के नेताओं ने शिरकत की, लेकिन अखिलेश यादव और मायावती नदारद रहीं.यहीं नहीं  सपा का कोई भी नेता इफ्तार पार्टी में नहीं पहुंचा. बड़ी बात यह है कि अपने एक बयान में अखिलेश यादव ने खुद इस पार्टी में शरीक होने की बात कही थी.

Related News
1 of 613

गौरातलब है कि कर्नाटक में जिस दिन जेडीएस के कुमार स्वामी ने सीएम पद की शपथ ली थी, तब पूरा विपक्ष एक मंच पर दिखाई दिया था.जिसमें बसपा सुप्रीमो मायावती और अखिलेश यादव शपथ समारोह में पहुंचे थे. इस दौरान सभी विपक्षी दलों के नेताओं ने एक साथ मंच से अपनी एकता दिखाई थी.बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव मे सपा और कांग्रेस ने मोदी की भाजपा को मात देने के लिए गठबंधन किया था. इस चुनाव में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी 403 में से मात्र 48 पर जबकि कांग्रेस के खाते में केवल सात सीटों आई थी.

उसके बावजूद सपा और कांग्रेस बार-बार कहती रही की हम आगे के चुनावों में साथ रहेंगे. लेकिन सूबे में सियासी समीकरण बदले. सपा ने बीएसपी से गठबंधन का ऐलान किया. यह प्रयोग सफल रहा. बीजेपी या कहें की सीएम योगी के गढ़ में सपा-बसपा ने विजय परचम लहराया. गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त मिली. दोनों ही सीटों पर कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार खड़े किये थे.लेकिन कांग्रेस कहीं नहीं ठहरी. इसके बाद कैराना और नूरपुर उपचुनाव में सपा-बसपा और आरएलडी साथ आई.हलांकि कांग्रेस ने दोनों ही सीटों पर विपक्षी दलों के उम्मीदवारों का समर्थन किया.नतीजा यह रहा कि भाजपा को कैराना और नूरपुर भी गवानी पड़ी. 

आप को बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री बनने की इच्छा जाहिर की थी .शायद यह बात अखिलेश को नागवार गुजरी. दरअसल अखिलेश तीसरा ऑप्शन संयुक्त मोर्चा का खुला रखना चाहते हैं क्योंकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दबे स्वर में संयुक्त मोर्चा को हवा दें चुकी है. यानि की कांग्रेस के नेतृत्व में चुनाव न लड़ें. सभी विपक्षी दल साथ आएं उसमें कांग्रेस शामिल हो.अब तो यहीं कहा जहा सकता है  कि क्या सपा को कांग्रेस का साथ पसंद नहीं है? ये तो आने वाला समय बताएगा.

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Comments
Loading...