फुरकान एनकाउंटर पर उठे सवाल, हाईकोर्ट ने योगी सरकार से मांगा जवाब

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मुजफ्फरनगर — उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए फर्जी एनकाउंटर को लेकर हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस पर सवाल खड़े कर दिए है. इस मामले में आरोपी एसटीएफ और पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए

राज्य सरकार समेत सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते के अंदर जवाब तलाब किया है.वहीं कोर्ट ने एसएसपी और सीजेएम मुजफ्फरनगर को एनकाउंटर में शामिल पुलिस और एसटीएफ के 16 कर्मियों को नोटिस जारी कराने का भी आदेश दिया है.अब इस मामले की सुनवाई तीन हफ्ते के बाद होगी.

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गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर की बुढ़ाना पुलिस और एसटीएफ ने 22 अक्टूबर 2017 को फुरकान का एनकाउंटर कर दिया था.यहीं नहीं पुलिस ने फुरकान के पिता को इसकी कोई जानकारी नहीं दी. जबकि फुरकान के पिता मीर हसन कई दिनों तक बुढ़ाना पुलिस स्टेशन से लेकर एसएसपी दफ्तर का चक्कर लगाता रहा.हालांकि बाद पुलिस ने फुरकान का शव उन्हें सौंपा था.इसके अलावा फुरकान के साथ ही पुलिस ने दो अन्य युवकों अनीस और राहुल को भी एनकाउंटर में पैर में गोली मारी थी, जो मुजफ्फरनगर जेल में बन्द हैं.

दरअसल फुरकान के पिता ने जब जेल में बन्द दोनों युवकों बताया कि फुरकान पत्नी के साथ बाजार में खरीददारी करने गया था. जहां से पुलिस उसे उठा कर ले गई और फर्जी एनकाउंटर में उसे मार दिया. पीड़ित पिता ने पहले डीजीपी से लेकर मानवाधिकार आयोग में पत्रचार किया. लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर 19 दिसम्बर 2017 को सीजेएम मुजफ्फरनगर की अदालत में अर्जी दाखिल कर दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की. 16 जनवरी 2018 को सीजेएम कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी.

याची मीर हसन ने सीजेएम कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. वहीं मामले की सुनाई के दौरान कोर्ट को जानकारी दी गई की एनकाउंटर में मारा गया फुरकान एक अपराधी था और उस पर 50 हजार का इनाम भी घोषित था. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या पुलिस के पास कोई लाइसेन्स है कि वह किसी को गोली मार दे. 

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