गंगा में गंदगी से उठते सवाल !!
बलिया–नमामि गंगे के तहत गंगा यात्रा के ज़रिये सरकार जनता को जागरूक करना चाहती है। बलिया शहर के करीब बहने वाली गंगा नदी का आलम ये है की शहर का गंदा पानी कटहर नाले के ज़रिये गंगा में बहाया जा रहा है ।
एक ऐसी नदी जिसे माँ की संज्ञा दी गई है जिसकी आस्था पवित्रता सबका मन मोह लेती है। उसी गंगा नदी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए सरकार गंगा यात्रा की शुरुआत की है, पर विडंबना देखिये की दूसरों के पाप धोने वाली गंगा खुद मैली हो गई है । बलिया शहर के करीब बहने वाली गंगा नदी को जाने वाले मार्ग में नगरपालिका द्वारा बड़े पैमाने पर शहर का कूड़ा कचरा फेका जा रहा है जबकि शहर के गंदे पानी को कटहर नाले के ज़रिये गंगा में बहाया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है की सरकार जितना पैसा जनता को जागरूक करने में खर्च कर रही है उतना गंगा में बहने वाले गंदे नाले के लिए ट्रीटमेंट प्लांट बनाने में खर्च करती तो गंगा को नया जीवन मिल जाता।
गंगा में बढ़ते प्रदूषण से मछुआरों पर भी बुरा असर पड़ा है। बलिया में गंगा नदी के ज्यादा तर तटों पर गंदगी का अम्बार है जिसमे प्लास्टिक थर्माकोल सहित कूड़े कचरे भी शामिल है। स्थानीय मछुआरों का कहना है कि गंगा का पानी गंदा होने से या तो मछलिया मर जाती है या फिर उनका विकास नहीं होता। गंगा नदी में मछली पकड़कर जीवन यापन करने वाले मछुआरों का कहना है की की अगर गंगा साफ़ सुथरी नहीं हुई तो ऐसा दिन भी आएगा जब नदी में जाल तो होगा पर मछलिया नहीं
बलिया के जिलाधिकारी भी मानते है की बलिया में कटहर नाले के गंदे पानी को गंगा में जाने से रोकने के लिए पंद्रह सालों से कई प्रोजेक्ट बने पर हुआ कुछ भी नहीं जिससे ना गंगा को फायदा हुआ और ना गंगा से जुड़े लोगों को।
(रिपोर्ट-मनोज चतुर्वेदी, बलिया)