शिवपाल यादव की स्ट्रेटजी से प्रोफ़ेसर रामगोपाल यादव की स्ट्रेटजी हुई फेल ?
लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी
लखनऊ — यादव कंपनी में चल रही सियासी रार किसी से अब छिपी नही रही अजब सियासत का ग़ज़ब खेल।आज दुश्मनी तो कल मेल जी! हा ऐसा हो गया है हमारी सियासत का अब खेल,इसको समझना भोली-भाली जनता के बस में नही रहा।
पक्की पकाई खिचड़ी मिलने पर मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव सही वितरण नही कर पाए या यूँ कहे कि वह सियासी अनुभव की कमी के चलते प्रोफ़ेसर राम गोपाल यादव के रचे चक्रव्यूह में फँसके रह गये उसी चक्रव्यूह का हिस्सा है यादव कंपनी की सियासी रार ऐसा सियासी पण्डित मानते है। उनका मत है कि प्रोफ़ेसर राम गोपाल यादव मुलायम सिंह यादव परिवार से अंदर ही अंदर कोई खुन्नस रखते है जिसके चलते वह चाहते है कि यादव परिवार का सियासी वर्चस्व सिमट जाए लेकिन मुलायम सिंह यादव के कंपनी का सीईओ के रहते ये सम्भव नही था ।
क्योंकि मुलायम को सियासी अनुभव के साथ-साथ दुनियादारी का भी काफ़ी अनुभव माना जाता है वह यह बात समझते थे कि प्रोफ़ेसर क्या चाहते है इस लिए वह उनके क़ब्ज़े में नही आए लेकिन प्रोफ़ेसर राम गोपाल ने हार नही मानी और किसी को अहसास भी नही होने दिया। जब मुलायम सिंह यादव से काम नही चला तो उनको हटा कर उनके पुत्र अखिलेश यादव को कंपनी की कमान दिलवा कर अपना काम कर दिया परिवार को तोड़ दिया गया और मजबूर मुलायम सिंह देखते रहे कि किस तरह तिनका-तिनका जौडकर सपा को खड़ा किया था लेकिन बेटे ने सब कुछ बर्बाद करने में कोई कोर कसर नही छोड़ी।
अब सियासी पण्डित प्रोफ़ेसर राम गोपाल को शकूनी चाचा की संज्ञा देते है। असल में शिवपाल सिंह यादव ज़मीनी नेता है लेकिन प्रोफ़ेसर ने शिवपाल सिंह यादव को टारगेट किया और उनको ऐसे रास्ते पर चलने पर मजबूर किया ताकि वह अलग चलो वाली नीति पर चलने को विवश हो जाए और आख़िरकार वह उसी रास्ते पर चल रहे है और उनके अलग चलने के परिणाम भी आने शुरू हो गये है वह मज़बूती से डटे नज़र आ रहे है ज़मीन पर उनकी हलचल दिखाई दे रही है।
इसी बीच शिवपाल सिंह यादव की स्टेटरजी के चलते राम गोपाल यादव से हिसाब बराबर करने का ख़ाका बना रहे है फ़िरोज़ाबाद लोकसभा सीट से खुद चुनाव लड़ने की तैयारी करनी शुरू कर दी है जिससे प्रोफ़ेसर की स्टेटरजी बिखरती जा रही है क्योंकि प्रोफ़ेसर अपने पुत्र को फ़िरोज़ाबाद से लड़ाना चाहते थे लेकिन अपने वजूद पर नही सपा की ताक़त के बलबूते क्योंकि उनका ज़मीनी तौर पर कुछ नही है और सपा भी बिना शिवपाल सिंह यादव के अधूरी है इस लिए प्रोफ़ेसर की स्टेटरजी फ़ेल और शिवपाल सिंह यादव की स्टेटरजी कामयाब हो रही है और उनकी दावेदारी को जनता पसंद भी कर रही है क्योंकि फ़िरोज़ाबाद क्षेत्र में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के सभी कार्यक्रमों में अपार भीड़ इसका सबूत है। हमने जितने भी कार्यक्रम देखे उनमें शामिल लोगों का जोश बताता है कि शिवपाल के बारे में मुलायम सिंह यादव जो सोचते थे कि शिवपाल ज़मीनी नेता है उनकी अन्देखी सपा के लिए ख़तरनाक साबित होगी वह सच साबित हो रही है।
मुलायम राम गोपाल को शीशे के पीछे की सियासत करने वाला मानते थे वह भी सच ही साबित हो रहा है प्रोफ़ेसर राम गोपाल यादव का फ़िरोज़ाबाद लोकसभा सीट से बेटे को संसद भेजने का सपना टूटता दिख रहा है और शिवपाल सिंह यादव संसद की चारदीवारी के अंदर जाते दिख रहे है इस लिए कहा जा सकता है कि शिवपाल को सियासत में जो नुक़सान राम गोपाल यादव ने दिया सपा कंपनी में अपमानित कराकर उसका हिसाब बराबर फ़िरोज़ाबाद से करने की तैयारी हो रही है। अब देखना होगा कि क्या सियासी सफ़र में अकेला चलो की नीति से तपकर शिवपाल अपना लोहा मनवा पाएँगे यह सवाल सियासी फ़िज़ाओं में घूम रहा है।