फिर से खून के आंसू रोने को मजबूर आलू किसान !
फर्रुखाबाद–आलू की खेती ने एक बार किसानों को खून के आंसू रोने के लिए मजबूर कर दिया है। पुराने आलू में पड़े घाटे से अभी किसान उबर नही पाया है ,इससे पहले नए आलू की फसल ने भी अन्नदाता के सामने खतरे की घण्टी बजा दी है।
उद्योग शून्य फर्रुखाबाद जिले के किसानों और व्यापारियों की जीविका का मात्र आलू ही सहारा है। जो खेत से लेकर शीत गृहो तक किसानों को एक साल से रुला रहा है। आलू की खेतो में लह लहाती फसल को देख किसानों को आस वधी थी कि इस फसल के तैयार होने के बाद सब कुछ ठीक ठाक हो जायेगा। लेकिन यहां भी किसान सिर मुड़ाते ही ओले पड़ने वाली कहावत के शिकार हो गए। आलू की फसल में झुलसा रोग लग जाने से अब अन्नदाता के भूत ओर भविष्य दोनों दगा दे गए है।
अब उनके सामने एक ही सवाल कौंध रहा है कि आने वाले समय मे वह अपने बेटे और बेटियों के हाथ कहां से पीले करेगे। आलू किसानों को यह भी चिंता सता रही है कि कर्ज लेकर तैयार किये गए आलू में झुलसा लग जाने से अब वह कर्ज कहाँ से चुकायेगें। जिले में इस बार 42 हजार हेक्टेअर भूमि पर आलू की फसल आच्छादित है। जिसमे बम्फर पैदावार होने का अनुमान लगाया जाता था। झुलसा रोग लगने के बाद आलू की पैदावार पर बुरा असर पड़ेगा।ग्राम सभा कमालपुर में आलू की फसल में लगें झुलसा रोग के बाद किसान बदहवास हालत में अपनी फसल को देख रहा है।उसका कहना है कि वह झुलसा की रोकथाम के लिए छिड़काव करने के लिए परेशान है।
(रिपोर्ट- दिलीप कटियार , फर्रुखाबाद )