सरकारी आदेश की खुली पोल, गायों के पेट से कुन्तलों पॉलीथिन बरामद
फर्रुखाबाद–जिले में पालीथिन प्रतिबंध की पोल खोलकर रख दी है।गौसदन में बंद गायों की लगातार मौते हो रही है।जिनको लेकर समाजसेवियों ने पोस्टमार्टम की मांग की थी जब उन मृतक गायों का पोस्टमार्टम किया गया तो किसी गाय के शरीर से एक बूंद भी खून नही निकला।
आज ग्राम कटरी धर्मपुर स्थित गौसदन में तीन गौ वंशों की मौत हो गई। बढपुर पशु चिकित्सालय के उप मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 पीके शर्मा और पशु चिकित्साधिकारी डा0 सतेन्द्र सिंह एवं डा0 देवेन्द्र कुमार के सहयोग से तीनों गौवंशों का गौसदन में ही पोस्टमार्टम किया। इस दौरान नगरपालिका के लिपिक विनय शुक्ला एवं सफाई नायक विनय कश्यप भी मौजूद रहे। जब गाय के पेट को फाडा गया तो गाय के शरीर से एक बूंद खून नही निकला। गाय के पेट में बुरी तरह फंसा कचरा काफी प्रयास से खींचकर बाहर निकाला गया। कचरे में अधिकांश पोलोथीन, कपडे, रस्सी आदि सामान था। जिसका करीब 50 किलो बजन बताया गया। अन्य पशुओं के शरीर से इसी तरह का मलवा निकला।
नगरपालिका की ओर से जानवरों को भूसे के अलावा दाना एवं हरियाली खिलाई जाती है। लेकिन जानवर नाममात्र का ही भूसा खाते है। पेट में न गलने वाला कचरा भरा होने के कारण जानवर जुगाली करते है। लेकिन जुगाली के दौरान कचरा गलता नही है। कचरा न पचने के कारण जानवर के शरीर में खून बनना बंद हो जाता है और गैस पास न होने के कारण ही जानवरों की मौते हो रही है। गौसदन में करीब 125 जानवर है। जिनके लिये प्रतिदिन करीब 5 कुंतल भूसे के साथ ही दाने की व्यवस्था की जा रही है। एक कुंतल भूसे की कीमत 730 रूपये है।
इन आवारा जानवरों से नगर सीमा के करीब 5 किलोमीटर दूरी वाले किसान दशकों से बर्बाद हो रहे है। कोई भी राजनैतिक पार्टी एवं जिला प्रशासन आवारा जानवरों के मामले में किसानों की मदद नही कर रहा है। डा0 देवेंद्र चौधरी ने बताया कि जब गायों के शरीर में खून बनना बंद हो जाता है तभी उनकी मौते होती है। इलाज से न गलने वाला कचरा भी नही पचता है।
(रिपोर्ट- दिलीप कटियार, फर्रुखाबाद )