पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजना में बड़ी धांधली, दोषी 9 अधिकारी संस्पेंड

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लखनऊ — उत्तर प्रदेश में मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड’ की आउटसोर्सिंग के लिए जारी टेंडर में बड़े स्तर की धांधली सामने आई है, जिससे पूरे कृषि विभाग में हड़कंप मच गया है.

धांधली को लेकर सीएम योगी की नाराजगी को देखते हुए बुधवार को कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने धांधली में शामिल सभी 9 आलाधिकारियों को निलम्बित कर दिया है और टेंडर में शामिल सभी चारों कंपनियों को भी ब्लैकलिस्ट डाल दिया है. इसके अलावा सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश जारी किया गया है.

बता दें कि निलंबित अधिकारियों में मुख्यालय में तैनात संयुक्त कृषि निदेशक पंकज त्रिपाठी, बरेली के उप कृषि निदेशक विनोद कुमार, मुरादाबाद के उप कृषि निदेशक डॉ. अशोक कुमार, अलीगढ़ के संयुक्त कृषि निदेशक जोगेंद्र सिंह राठौर, सहारनपुर के उप कृषि निदेशक राजीव कुमार, झांसी के उप कृषि निदेशक रामप्रताप, मेरठ के उप कृषि निदेशक सुरेश चंद्र चौधरी, अलीगढ़ के मृदा परीक्षण प्रभारी और सहायक निदेशक देव शर्मा और बरेली के सहायक निदेशक संजीव कुमार समेत सभी 9 अधिकारियों के नाम शामिल हैं.

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गौरतलब है कि किसानों की आय को दोगुना करने के उद्देश्य से किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच के लिए मोदी सरकार ने गत 19 फरवरी 2015 को मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का शुभारंभ किया था, जिसमें किसानों को मिट्टी के प्रकार के आधार पर उनके खेतों के लिए सबसे उपयुक्त पोषक तत्वों के लिए अनुकूल सलाह दी जाती है.

जांच रिपोर्ट के मुताबिक कृषि विभाग के निलंबित किए गए आला अधिकारियों ने अपने स्तर से एक ही व्यक्ति द्वारा अलग-अलग नामों से बनाई गई मेसर्स यस सोल्यूशन, मेसर्स सरस्वती सेल्स, मेसर्स सिद्धि विनायक, मेसर्स सतीश अग्रवाल नामक कंपनियों को वर्ष 2017-18 में उनके मुफीद शर्तें जोड़कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड का टेंडर दिया गया. यही नहीं, वर्ष 2018-19 में भी मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लिए केंद्र सरकार से जारी गाइड लाइन्स को दरकिनार कर इन्हीं कंपनियों को अपने स्तर से टेंडर जारी करके करीब 12 करोड़ की धांधली की गई. दिलचस्प यह है कि उपरोक्त जिन कंपनियों को टेंडर दिया गया, उनके पास मृदा स्वास्थ्य के लिए आवश्यक मशीनें तक नहीं मौजूद नहीं है.

वहीं धांधली में शामिल संबंधित कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया गया है जबकि दोषी अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए विधिक राय ली जा रही है।वहीं सुर्य  प्रताप शाही ने बताया कि करीब 12 करोड़ रुपए के  टेंडर को निरस्त कर दोबारा पारदर्शी तरीके से टेंडर जारी किया जाएगा. 

 

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