मिड-डे मिल के नाम पर खिलवाड़, भोजन के नाम मासूमो को यह परोस रहे जिम्मेदार

बलरामपुर में भोजन के नाम पर स्कूलों में परोसा जा रहा पंजीरी का हलवा

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बलरामपुर — क्या आपने कभी पंजीरी का हलवा खाया है। सुनकर आपको आश्चर्य होगा लेकिन बलरामपुर के सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना के नाम पर स्कूलो में पंजीरी का हलवा परोसा जा रहा है। हलवा भी ऐसा जो पंजीरी को घोलकर बना दिया गया है। तमाम बच्चो का पेट नही भरता और तमाम बच्चे इसे खाते भी नही। पंजीरी के इस हलुए का नमूना देखने को मिला सदर शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय शेखरपुर प्रथम में।

यहां मध्यान्ह भोजन योजना के नाम पर मासूम बच्चो के साथ भद्दा मजाक किया जा रहा है। जब हम हम इस विद्यालय में पहुँचे तो बच्चो को भोजन परोसा जा रहा था। मीनू के अनुसार शनिवार को बच्चो को सोयाबीन की सब्जी और चावल परोसा जाना था। लेकिन हमने एक छोटे से भगोने में पंजीरी का घोल देखा जिसे हलुवा बताकर बच्चो की थाली में परोसा जा रहा था। यह पंजीरी स्कूल परिसर में चलाये जा रहे आँगनवाडी केन्द्र से ली गयी थी।
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका नीलम पाण्डेय बिना किसी पूर्व सूचना के तीन अक्टूबर से विद्यालय से गायब थी।

बच्चे भूख से बिलबिला रहे थे मासूम

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बच्चे भूख से बिलबिला रहे थे और कुछ मासूम बच्चे पंजीरी का हलुआ खत्म हो जाने के बाद अपनी अँगुली चाट रहे थे। कुछ ऐसे भी बच्चे थे जिन्हेने कहा कि जब सब्जी और चावल बनता है तब पेट भरता है और जब हलुआ बनता है तो पेट नही भरता। इसी कारण कुछ बच्चे हलवा खाते भी नही। छोटे से भगोने से पोछ-पोछ कर रसोइया बच्चो को नाममात्रा का पंजीरा का घोल पकडा रही थी। जब रसोइये से इस बाबत पूछा गया तो उसने कहा कि जो मिलता है वही बनाते है।

स्कूल में बच्चो के साथ किये जा रहे इस भद्दे मजाक की सूचना जब बीएसए को दी गयी तो वो भी भागते हुये स्कूल पहुँचे और खाने क नाम पर मासूम बच्चो के साथ किये जा रहे इस भद्दे मजाक को काफी गम्भीरता से लिया। पंजीरी का हलुआ देख बीएसए हरिहर प्रसाद खुद भौचक रह गये। स्कूल में प्रधानाध्यापिका नीलम पाण्डेय की तानाशाही का रवैया भी देखने को मिला । बीएसए के सामने बच्चो ने कबूला कि पंजीरी का यह हलवा अक्सर बनता है। तीन महीने से बच्चो को फल नही वितरित किया गया है। एक साल से बच्चो को दूध नही दिया गया है।

स्कूल में 109 बच्चो के सापेक्ष 53 बच्चे उपस्थित पाये गये। अब प्रश्न यह उठता है कि सरकार के तमाम दावो के बीच स्कूल के मासूम बच्चो के साथ जिम्मेदार लोग ऐसा भद्धा मजाक क्यू करते है जिसमें न सिर्फ मासूम बच्चो को उनके हक से वंचित किया जा रहा है बल्कि सरकार के द्वारा बच्चो के लिये खर्च किये जा रहे लाखों रुपये आखिर किसकी झोली में जा रहे है। बीएसए हरिहर प्रसाद ने इस घटना के काफी गम्भीरता से लेकते हुये दोषियों के खिलाफ कार्यवाई की बात कही है लेकिन देखना यही होगा कि इस कार्यवाई का असर जिम्मेदार लोगो पर कितना होता है।

(रिपोर्ट-सुजीत कुमार,बलरामपुर)

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