किसानों में पाकिस्तानी टि़ड्डियों का खौफ, भारत के लिए बड़ा ख़तरा?
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने भारत को चेताया है कि इस साल टिड्डियों (locust ) का प्रकोप पिछले साल के मुकाबले दो से तीन गुना ज्यादा होगा। वहीं पाकिस्तानी टिड्डियों से भारतीय किसान खौफ में है। क्योंकि टिड्डियों का झुंड राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में घुस चुका है जिससे लगभग 2 लाख हेक्टेयर जमीन खतरे में है जिससे खेतों में खड़ी कपास की फसलों को भारी नुकसान हो सकता है।
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पाकिस्तानी टिड्डियों (locust ) से सबसे बुरी तरह से प्रभावित राजस्थान है। यहां अभी तक करीब 10 जिलों के 37 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डियों का प्रकोप हो चुका है। टिड्डियों से मुकाबला करने के लिए सरकारी अधिकारियों से ड्रोन, स्प्रे व्हीकल, और हेलीकॉप्टर की मदद की अपील की गई है। तो वहीं मध्य प्रदेश के 15 जिले टिड्डियों के प्रकोप से सबसे अधिक प्रभावित हैं। हालांकि सरकारे टिड्डियों के आतंक की संभावना को देखते हुए व्यापक स्तर पर तैयारियां करने में जुटी है।
50 हज़ार हेक्टेयर कृषि-भूमि को कर चुकी है बर्बाद
विशेषज्ञों का मानना है कि बीते तीन दशकों में टिड्डियों का यह अब तक का सबसे बड़ा हमला है। ड्रोन, ट्रैक्टर और कारों की मदद से इन टिड्डियों (locust ) के इलाक़ों की पहचान की जा रही है और कीटनाशक का छिड़काव करके उन्हें भगाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि टिड्डियों के ये दल अभी तक 50 हज़ार हेक्टेयर कृषि-भूमि को बर्बाद कर चुके हैं।
दरअसल टिड्डियों का ये हमला ऐसे समय में हुआ है जब देश पहले से ही कोरोना वायरस महामारी की चपेट में हैं और इससे जूझ रहा है। राजस्थान में प्रवेश करने से पहले टिड्डियों के ये दल पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी भारी तबाही मचा चुके हैं। चार करोड़ की संख्या वाला टिड्डियों का एक दल 35 हज़ार लोगों के लिए पर्याप्त खाद्य को समाप्त कर सकता है।
बर्तन बजाकर टिड्डियों को भगाने की कोशिश
वहीं टिड्डियों को भगाने के लिए लोगों ने अलग-अलग तरीके अपनाए। कुछ ने कीटनाशक का छिड़काव किया तो किसी ने बर्तन बजाकर टिड्डियों को भगाने की कोशिश की।
उधर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि जून में यह स्थिति और गंभीर हो सकती है।संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारी बारिश और चक्रवात ने पिछले साल की शुरुआत में टिड्डियों (locust ) के प्रजनन में बढ़ोत्तरी की और इस वजह से अरब प्रायद्वीप पर टिड्डियों की आबादी में काफ़ी तेज़ी से वृद्धि हुई। भारत ने साल 1993 के बाद से अब तक कभी भी इतने बड़े स्तर पर टिड्डों का हमला नहीं देखा था।
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