इस शख्स को लोग कहते हैं महापुरुष व भगवान, दिल जीतने वाले है इनके काम

पद्मश्री टी के लहरी रिटायरमेंट के बाद भी पेसेंट्स की सेवा के लिए रोज सुबह बीएचयू पहुंच जाते हैं

0 957

जिस दौर में लाशों को भी वेंटीलेटर पर रखकर बिल भुनाने से कई डॉक्टर नहीं चूकते, उस दौर में इस देवतुल्य चिकित्सक की कहानी दिल को गदगद कर देती है। जब तमाम डॉक्टर सरकारी नौकरी छोड़ प्राइवेट प्रैक्टिस से करोड़ों का अस्पताल खोलना फायदेमंद समझते हैं, तब बीएचयू के प्रख्यात कार्डियोलाजिस्ट पद्मश्री प्रो. डॉ. टी के लहरी साहब अद्भुत हैं।

आज भी आवास से अस्पताल तक पैदल जाते है..

एक डॉक्टर जिसने बचाई हजारों लोगों की ...

आप हैरत में पड़ेंगे। मेडिकल कॉलेज में तीन दशक की प्रोफेसरी में पढ़ा-लिखाकर सैकड़ों डॉक्टर तैयार करने वाले लहरी साहब के पास खुद का चार पहिया वाहन नहीं है। आज जब तमाम डॉक्टर चमक-दमक, ऐशोआराम की जिंदगी जीते हैं। लंबी-लंबी मंहगी कारों से चलते हैं। चंद कमीशन के लिए दवा कंपनियों और पैथालॉजी सेंटर से सांठ-गांठ करने में ऊर्जा खपाते हैं। नोटों के लिए दौड़-भाग करते हैं। तब प्रो. लहरी साहब आज भी अपने आवास से अस्पताल तक पैदल ही आते जाते है।

मरीजों के लिए किसी देवता से कम नहीं…

मरीजों के लिए किसी देवता से कम नहीं हैं। उनकी बदौलत आज लाखों गरीब मरीजों का दिल धड़क रहा है, जो पैसे के अभाव में महंगा इलाज कराने में लाचार थे। गंभीर हृदयरोगों का शिकार होकर जब तमाम गरीब मौत के मुंह में समा रहे थे तब डॉ. लहरी ने फरिश्ता बनकर उन्हें बचाया।

डॉ. लहरी बीएचयू से 2003 में ही रिटायर हो चुके हैं। चाहते तो बाकी साथियों की तरह बनारस या देश के किसी कोने में आलीशान हास्पिटल खोलकर करोड़ों की नोट हलोरने लगते। मगर खुद को नौकरी से रिटायर माना चिकित्सकीय सेवा से नहीं। रिटायर होने के बाद 15 साल बाद भी बीएचयू को अपनी सेवाएं देते रहे हैं, वो भी पूरी तरह मुफ्त।

रिटायर होने के बाद भी मरीजों का ...

Related News
1 of 906
लहरी साहब पेंशन का पैसा भी कर देते है दान..

आप यह जानकर सिर झुका लेंगे। सोचेंगे कि चरण मिल जाएं तो छू लूं जब पता चलेगा कि प्रो. लहरी साहब पेंशन से सिर्फ अपने भोजन का पैसा रखते हैं, बाकी बीएचयू को दान दे देते हैं। ताकि महामना का यह संस्थान उस पैसों से गरीबों की सेवा कर सके। इस महान विभूति की गाथा यहीं नहीं खत्म होती। समय के पाबंद लोगों के लिए भी प्रो. लहरी मिसाल हैं।

79 साल की उम्र में भी वक्त के इतने पाबंद हैं कि उन्हें देखकर बीएचयू के लोग अपनी घड़ी की सूइयां मिलाते हैं। वे हर रोज नियत समय पर बीएचयू आते हैं और जाते हैं। प्रो. लहरी साहब को देखकर बीएचयू का स्टाफ समझ जाता है कि इस वक्त समय घड़ी की सूइयां कहां पर पर होंगी।

2016 में पद्मश्री से नवाजा गया…

धर्म से धंधा बनाने वाले डाक्टर सीखें ...

उनके अदम्य सेवाभाव और मरीजों के प्रति प्रेम को देखते हुए बीएचयू ने उन्हें इमेरिटस प्रोफेसर का दर्जा दिया हुआ है। यूं तो इस विभूति को बहुत पहले ही पद्मश्री जैसे सम्मान मिल जाने चाहिए थे। मगर देर से ही सही, पूरी काशीनगरी तब खुशी से झूम उठी थी जब इस महान विभूति को 26 जनवरी 2016 को केंद्र सरकार ने पद्मश्री से नवाजा। लाखों मरीजों का दिल धड़काने वाले प्रो. लहरी को मिले सम्मान से पद्मश्री का भी गौरव बढ़ता नजर आया। और हां लहरी साहब को देखकर सवाल का जवाब भी मिल गया- डॉक्टरों को भगवान का दर्जा क्यों दिया गया है।

उम्मीद है कि डॉ. लहरी साहब के इस देवतुल्य कार्य के बारे में जानकर उन तमाम डॉक्टरों का जमीर जरूर जागेगा, जिनके लिए चिकित्सा धर्म से धंधा बन चुका है। धरती पर बुरे लोगों से कहीं ज्यादा अच्छे लोग हैं। तभी दुनिया चल रही है। यही वजह है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।

ये भी पढ़ें..इतिहास में पहली बार जिले की संपूर्ण कमान तेज तर्रार महिलाओं के हाथों में

 

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Comments
Loading...