भारत-नेपाल सीमा विवाद के बीच नेपाल ने एक और साजिश रच डाली है. नेपाल की करतूत से बिहार के कई इलाको पर खतरा बढ़ गया है. दरअसल मॉनसून ने बिहार में दस्तक दे दी है. ऐसे में कोरोना के साथ-साथ राज्यवासियों पर बाढ़ का भी खतरा मंडराने लगा है.
खासकर नार्थ बिहार के लोग बाढ़ को लेकर काफी चिंतित हैं. उनकी चिंता इसलिए भी हैं क्योंकि नार्थ बिहार में मुख्य रूप से बहने वाली नदी गंडक के बांध मरम्मती काम में नेपाल सरकार ने अड़चन पैदा कर दी है. ऐसे में उस क्षेत्र में बाढ़ का खतरा काफी बढ़ गया है.
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बता दें कि विवाद भारत-नेपाल की सीमा को दिखाने वाले पिलर नंबर 345/5 और 345/7 के बीच की जमीन पर है, जो लगभग 500 मीटर में फैली है. यहां पर पहले से बने बांध के बारे में नेपाल का कहना है कि भारत ने उसके हिस्से पर बांध बनाया है. मरम्मत रोकने के लिए उसने रास्ते में रुकावट डाल दी है ताकि निर्माण सामग्री न पहुंचाई जा सके. इससे बिहार के निचले हिस्सों में बाढ़ के कारण भारी तबाही मच सकती है.
गंडक नदी के 36 बैराज बॉर्डर में…
वहीं बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने बताया कि बिहार और नेपाल के बीच लगभग 700 किलोमीटर लंबा इंटरनेशनल बॉर्डर है. इसमें गंडक नदी के बैराज पर 36 द्वार बने हैं. इसमें से 18 द्वार पडोसी देश में आते हैं, जबकि बाकी 18 भारत में पड़ते हैं.
हर साल मॉनसून से पहले इन बांधों की मरम्मत होती है. इस बार भी हर साल की तरह भारत ने अपने हिस्से में सुधार कार्य करवा डाला लेकिन नेपाल के हिस्से में मरम्मत नहीं हो पा रही है क्योंकि नेपाल ने उस जगह पर रुकावट डाल दी है, जहां बांध की मरम्मत के लिए सामान रखा हुआ है.
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