नवरात्रि स्पेशल: यहां प्रतीकात्मक नेत्र चढ़ाने से ठीक हो जाती हैं आंखों की बीमारियां

0 32

गोंडा– हमारे समस्त रीति-रिवाज, तीज-त्योहार या अनुष्ठान-विधान गृहस्वामिनी के हाथों ही संपन्न होते हैं। इस धरा की महकती मिट्टी की महिमा है कि स्त्री इतने सम्मानजनक स्थान पर प्रतिष्ठापित है। जब ध्यान से मां की आंखों को देखते हैं तो ऐसा लगता है मानो मां से हम बात कर सकते हैं।

हम अपने दुःख अपने सुख उन्हेे सुना सकते हैं। इतना जीवंत होता है मां का सुंदर स्वरुप इस 9 दिनों में। वैसे तो हमेशा ही मां का स्वरुप बेहद दयावान और स्नेहमय हुआ करता है, पर इन दिनों की तो बात ही कुछ और है। क्यूंकि जब जब नवरात्रियां आती है, चिंतन-मनन, ध्यान, पूजा पाठ का माहौल हर तरफ  नजर आता है। वैसे तो एक चैत्र की नवरात्रि होती है और दूजी शारदीय नवरात्रि, जिसमें बड़ी भक्ति भाव के साथ मां के बच्चे, जो दिल से मां को पुकारते हैं, उनकी पूजा अर्चना करते हैं।  गुजरात में गरबा-डांडिया, पंजाब में मां का जगराता, बंगाल में धुप आरती और उत्तर प्रदेश में गेहूं के जवारे के बीच कुंभस्थापना के बाद स्नेह सहित मां की आरती होती है। तब ऐसा लगता है कि सच में मां हमारे सामने आ खड़ीं हुईं हैं और मानों अपने बच्चों की पुकार सुनकर सबके दुःख को दूर कर रही हैं। सब ध्यानमग्न हो, अपने जीवन के दुखों को भुलाकर मस्ती में मस्त होकर, मां का गुणगान करते भारत के सभी राज्यों में मां की पूजा बड़े ही सम्मान से भक्तिभाव से सराबोर होकर की जाती है।  

Related News
1 of 1,066

उत्तर प्रदेष के गोण्डा जनपद से करीब 27 किलोमीटर पश्चिम दक्षिण कोने पर तहसील तरबगंज के मुकुन्दपुर गांव में देवी उत्तरी भवानी (बाराही देवी) के पौराणिक मन्दिर में प्रत्येक वर्ष शारदीय नवरात्र व वासंतिक नवरात्र के अवसर पर विशाल मेला लगता है। जिसमे देश व प्रदेश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है। मां के इस पौराणिक मन्दिर के बारे में एक बहुत बड़ी प्राचीन मान्यता है कि यहां पर प्रतीकात्मक नेत्र चढ़ाने से आंखो से सम्बन्धित हर तरह की बीमारियां स्वतः दूर हो जाती है। देवी की इस आपार महिमा के चलते नेत्र विकारो से छुटकारा पाने के लिए यहां भारी संख्या में देवी भक्तों का जमावड़ा लगता है। श्रद्धालु अपनी अपनी मान्यता के लिए सुदूर अंचलों से आते हैं। वैसे तो प्रत्येक सोमवार व शुक्रवार को मन्दिर में भारी भीड़ उमड़ती है। 

किवदंतियों के अनुसार सलिल सरयू व घाघरा के पवित्र संगम पर पसका गांव में भगवान बाराह का एक विशाल मन्दिर है। जहां पर प्रतिवर्ष पौष माह में कड़ाके की ठण्ड के समय संगम मेला लगता है । संगम जाने वाले श्रद्धालु भगवान बाराह के दर्शन के बाद मां देवी बाराही उत्तरी भवानी के भी दर्शन करते है। मान्यतानुसार पूर्व काल में भगवान बाराह ने सूकर के रूप में पृथ्वी के जितने भू – भाग पर लीलाएं कीं। वहीं स्थान बाराह धाम सूकर क्षेत्र के नाम से प्रचलित हुआ। पुराणों के अनुसार एक बार हिरणाक्ष्य नामक दैत्य द्वारा पृथ्वी को समुद्ध मे डूबो दिये जाने पर ब्रहमा जी की नाक से अंगूठे के बराबर एक सूकर प्रकट हुआ। जिसने देखते-देखते बहुत बड़ा विशाल रूप धारण कर लिया और समुद्र से बाहर निकलकर सर्व प्रथम वह जिस भू – भाग मे बाहर आया वह क्षेत्र आज के युग में अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। तत्पश्चात उसने घुरघुराते हुए पृथ्वी मे जितने भू-भाग की जमीन को खोद डाला वह भाग घाघरा नदी कहलाया। उसी घुरघुराहट के नाते इस नदी का नाम घाघरा पड़ा। उक्त सुअर के इस घुर-घुराहट से तीनो लोको मृत्युलोक, तपलोक और शक्ति लोक के ऋषि मुनी अचम्भित होकर एकाएक बोल पड़े- ‘पशु-कः,पशु-कः’ अर्थात यह कैसा व कौन सा पशु है। आज वह स्थान स्थान पसका गांव के रूप में जाना जाता है। वहां भगवान बाराह का प्राचीन व विश्व मन्दिर आज भी तमाम स्मृतियो को समेटे हुए पूर्व काल का प्रत्यक्षदर्शी बना हुआ है। ऐसी मान्यता है कि भगवान पसका गांव में अवतरित भगवान बाराह की विशेष स्तुति के फलस्वरूप वहां से कुछ ही दूरी पर मुकुन्दपुर नामक गांव में धरती से देवी भवानी बाराही के रूप में अवतरित हुई। तब भगवान विष्णु के नाभि कमल पर विराजमान ब्रहमा और मनसतरूपा ने उन्हे सर्वप्रथम देखने के पश्चात जोर-जोर से बोल पड़े अवतरी भवानी-अवतरी भवानी अर्थात जगत जननी जगदम्बा का अवतार हुआ है। आज मुकुन्दपुर गांव के इसी स्थान को उत्तरी भवानी के नाम से जाना जाता हैं ।और प्राचीन मान्यता के अनुसार तमाम मनोकामना की पूर्ति औेर खासकर नेत्र सम्बन्धी बीमारियो से छुटकारा पाने के लिए वर्ष के दोनो नवरात्रि में श्रद्धालु भक्त वहां पहुंचकर मां भगवती की स्तुति करते है।

श्रीमद्भागवत के तृतीय खण्ड में भगवान बाराह की कथा और स्तुति में बाराही देवी का विशेष उल्लेख मिलता है। जो इस स्थान की महत्वा व पौराणिकता की पुष्टि करता है। मां भगवती देवी उत्तरी भवानी धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष सभी मनोकामनाएं को पूर्ण करती है। दुर्गा स्तुति में 12 वें श्लोक मे मां भगवती स्वयं कहती है कि मैं अपने भक्तो को सभी बाधाओ से मुक्त करके धन पुत्र ऐश्वर्य प्रदान करती हूं। देवी बाराही जगदम्बा ने महिषासुर के वध के दौरान कहा था कि मनुष्य जिन मनोकामनाओ की पूर्ति के लिए मेरी स्तुति करेगा वह निश्चित रूप से पूर्ण होगी। मां भगवती के स्थान पर बिराट बरगद का पेड़ है, यह पेड़ चारो तरफ से पृथ्वी को छूते हुए बाराही देवी की पौराणिकता व महत्व का प्रत्यक्ष साक्षी आज भी बना हुआ है। 

–एस.के.पाण्डेय

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Comments
Loading...