Shardiya Navratri 2023: मां आदिशक्ति को समर्पित नौ दिवसीय शारदीय नवरात्रि उत्सव आज (रविवार) से शुरू हो रहा है। आज घर-घर शुभ मुहूर्त में घटस्थापना के साथ मां आदिशक्ति की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। सुबह से ही श्रद्धालु देवी मां की भक्ति में लीन दिखे। मंदिरों में विशेष सजावट की गई है। इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं, जो एक शुभ संकेत माना जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार हाथी को बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
ज्योतिष संस्थान भोपाल के ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद गौतम ने बताया कि नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाएगी। नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर मंत्रोच्चार और वैदिक रीति-रिवाजों के साथ कलश में मां दुर्गा का आह्वान किया जाता है, इसे घटस्थापना कहा जाता है। घटस्थापना शुभ मुहूर्त में ही की जाती है, इससे नौ दिनों तक मां दुर्गा घर में निवास करती हैं।
कलश स्थापना का मतलब है कि नवरात्रि के दौरान ब्रह्मांड में मौजूद शक्ति तत्व का घट यानी कलश में आह्वान करना। शक्ति तत्व के कारण घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है। नवरात्रि के पहले दिन दुर्गा पूजा का संकल्प लेकर ईशान कोण में कलश स्थापित कर पूजा शुरू की जाती है। कलश को सुख-समृद्धि देने वाला माना जाता है। घर में रखे कलश से माहौल भक्तिमय हो जाता है। इससे पूजा में एकाग्रता बढ़ती है। कलश को भगवान गणेश का स्वरूप भी माना जाता है, यह कार्यों में आने वाली बाधाओं को भी दूर करता है।
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घटस्थापना की विधि-
नवरात्रि के पहले दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें। पूजा का संकल्प लें। मिट्टी की वेदी पर जौ बोएं, कलश स्थापित करें, गंगा जल रखें। उस पर कुल देवी की मूर्ति या लाल कपड़े में लपेटा हुआ नारियल रखें और उसकी पूजा करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें। इस बात का भी ध्यान रखें कि कलश स्थान पर नौ दिनों तक अखंड दीपक जलता रहे। नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा करने की परंपरा है। 15 अक्टूबर से शुरु होकर शारदीय नवरात्रि 23 अक्टूबर 2023 को समाप्त होगी और 24 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन मां दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन किया जाएगा। ऐसे में शारदीय नवरात्रि नौ दिनों तक मनाई जाएगी। इस वर्ष किसी भी तिथि का क्षय नहीं है।
पंचांग के अनुसार आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 को रात 11: 24 बजे शुरू होगी और 16 अक्टूबर 2023 को रात 12:03 बजे समाप्त होगी। इस वर्ष सुबह 10: 30 बजे से पहले और दोपहर 1: 30 बजे के बाद कलश स्थापना करना बहुत अच्छा माना जाता है। वहीं कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:38 बजे से दोपहर 12:23 बजे तक है।
व्रत में इन बातों का रखें ध्यान-
नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक बिना कुछ खाए और केवल फल खाकर व्रत रखने का नियम है, लेकिन अगर इतने सख्त नियमों का पालन नहीं किया जा सकता है तो दूध और फलों का रस पीकर भी व्रत रखा जा सकता है। अगर यह भी नहीं हो सकता तो आप एक समय भोजन करके व्रत कर सकते हैं या फिर पूरे नौ दिनों तक बिना नमक का भोजन करने का नियम भी ले सकते हैं। इन बातों का रखें विशेष ध्यान….
- नवरात्रि व्रत के दौरान लहसुन, प्याज, तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला और किसी भी प्रकार के नशे का सेवन नहीं करना चाहिए। इन दिनों क्रोध करने और झूठ बोलने से बचना चाहिए।
- व्रत रखने वाले लोग भूलकर भी गेहूं और चावल जैसे नियमित अनाज ग्रहण ना करें। इस दिन सिंघाड़े का आटा, रागी, आलू, ड्राई फ्रटूस, सेंधा नमक, साबुदाना, टमाटर, मूंगफली से बनी चीजों का सेवन कर सकते हैं।
- वृत के दौरान घर की सफाई का खास ध्यान रखें क्योंकि नवरात्रि के 9 दिनों के दौरान मां दुर्गा का घर में वास होता है। खुद भी 9 दिनों तक सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें।
- इन 9 दिनों में बाल और नाखुन काटने की भी मनाही होती है। मान्यता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा नाराज हो सकती है।
मां दुर्गा की पूजा के दौरान उन्हें लाल फूल जरूर चढ़ाएं। इससे माता रानी प्रसन्न होती हैं और उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दौरान माता रानी को श्रृंगार का सामान चढ़ाना भी बहुत शुभ माना जाता है।
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