खंडहर में तब्दील हुए अपरा काशी के दो सौ से अधिक शिवालय

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फर्रुखाबाद–गंगा किनारे बसा फर्रुखाबाद यहाँ बने ऐतिहासिक और भव्य शिवालयों के लिए जाना जाता है. मान्यता है कि यहाँ काशी के बाद सर्वाधिक शिवालय हैं और इसीलिए फर्रुखाबाद को अपराकाशी या छोटी काशी का दर्जा प्राप्त है. यह वह शहर है जिसका जुड़ाव द्वापर और त्रेता युग से है.

यहाँ अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने पांडवेश्वर नाथ मंदिर में शिव लिंग की स्थापना की तो कम्पिल में शत्रुघ्न के  रामेश्वर नाथ मंदिर में शिव लिंग की स्थापना किये जाने का उल्लेख मिलता है. हर गली- हर मोहल्ले में शिवालय और गंगा का अर्धचन्द्राकार स्वरुप काशी से इसकी समानता को रूपायित करता है. लेकिन इस स्वर्णिम काल का एक दुखद पहलू भी शिव भक्तों को उद्वेलित कर रहा है कि उपेक्षा के कारण दो सौ से अधिक शिवालय खंडहर में बदल गए हैं. 

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आज सावन का अंतिम  सोमवार है. पूरा शहर ओम नमः शिवाय के उद्घोषों से गूँज रहा है. फर्रुखाबाद के शिव भक्तों के लिए सावन मास में शिव भक्ति का महत्व काशी से कम नहीं होता। गंगा किनारे एक महीने तक कांवर मेला चलता है और भक्त पूरी आस्था और श्रद्धा से गंगा जल भरकर पांडवेश्वर नाथ शिवालय, पुठरी शिव मंदिर, कम्पिल रामेश्वर नाथ मंदिर में काँवरें चढ़ाते हैं. पर जाने- अनजाने  पुरातन की धरोहर इन शिव मंदिरों की भव्यता बरकरार रखने में हम विफल रहे हैं और अब इन मंदिरों की संख्या दो सौ से अधिक पहुँच गयी है जो खंडहर में तब्दील हो गए हैं. मंदिर में घंटे और शंख की ध्वनि तो वर्षों से सुनाई नहीं देती, कर्पूरगौरं करुणावतारं की आरती भी नहीं होती यहाँ धंधेबाजों ने भूसा और पतेल भर दी है. कई मंदिरों में तो शिव लिंग भी गायब हैं. दीवारें दरक रही हैं. सालों से यहाँ सफाई नहीं हुई. इन मंदिरों में कंडे और उपले पाथे जा रहे हैं. कुछ लोग जेसीबी चलवाकर जगह साफ़ कराने की फ़िराक में हैं. गंदगी और बदबू से खड़ा होना मुश्किल है. मंदिरों के इस स्वरुप की तो किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी. चंद्र पाल सिंह और सुरेंद्र दुबे जैसे भक्तों से बात हुई तो मंदिरों की दुर्दशा पर उनका दर्द छलक ही पड़ा. 

विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी ने जरूर निराशा के बीच आशा का दीप जलने की उम्मीद जताई. विधायक ने कहा कि इस पौराणिक नगर की पहचान ही शिव मंदिरों से है. इसलिए जीर्ण शीर्ण हो रहे मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया जाएगा फर्रुखाबाद का जुड़ाव द्वापर और त्रेता युग से है. शहर की पुरातन और ऐतिहासिक पहचान को बनाये रखने के लिए हर संभव प्रयास किये जाएंगे.  

(रिपोर्ट – दिलीप कटियार, फर्रुखाबाद )

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