Morbi bridge: एक औरत से शापित है मोरबी शहर, हादसों से है गहरा नाता, जानें इसके पीछे का कारण
गुजरात के मोरबी (Morbi bridge) शहर में हुए दर्दनाक हादसे की हर तरफ चर्चा हो रही है। मोरबी में माच्छू नदी पर बने हुए पुल के गिर जाने से 141 लोगों की मौत हो गई है। इस हादसे कई साल पहले हुए त्रासदी की याद दिला दी। गुजरात के मोरबी शहर को अभिशापित कहा जाता है। इसकी कथा यहां के लोकगीतों में तो है ही, इस पर एक गुजराती फिल्म भी बन चुकी है। मोरबी में अब तक कई बड़े हादसे हो चुके हैं, जिसमें सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है। बताया जाता है कि मोरबी झूलते पुल के हादसे के बाद एक बार फिर इस श्राप की कहानी जिंदा हो चुकी है, लोग इसकी चर्चा कर रहे हैं।
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इससे पहले 1,439 लोगों की हुई थी मौत
गुजरात के जाडेजा राजाओं की लोककथाओं में मोरबी (Morbi bridge) में हुए हादसों के पीछे एक श्राप की कथा बताई जाती है। यह कथा यहां के लोकगीतों में भी मौजूद है। मोरबी के हादसों के सम्बंध श्राप से जोड़ा जाता है। झूलते पुल की घटना को भी इन्हीं लोककथाओं से जोड़कर यहां के लोग देखते हैं। इससे पूर्व 1979 में मच्छु बांध टूट गया था जिसमें 1,439 लोगों की मौत हो गई थी, हालांकि यह सरकारी आंकड़ा था जबकि मौत का आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा बताया जाता है।
राजा की प्रताड़ना से दिया था श्राप
मोरबी के बुजुर्ग बताते हैं कि मोरबी के राजा जियाजी जाडेजा एक स्त्री के प्रति आकर्षित हो गए थे लेकिन यह बात स्त्री को अच्छी नहीं लगी। राजा बाद में उस महिला को परेशान करने लगे। राजा से परेशान स्त्री ने आखिरकार मच्छु नदी में कूदकर अपनी जान दे दी। जान देने से पहले उक्त युवती ने राजा को श्राप भी दिया था जिसमें उसने कहा था कि सात पीढी के बाद न तो तुम्हारा वंश रहेगा और ना, ही शहर रहेगा। इस कथा की चर्चा स्थानीय लोकगीतों में होने की बात कही जाती है। बताया जाता है कि जब मच्छु नदी पर बांध बनाया गया, उस वर्ष 1978 में राजा के सातवां वंश के मयूरध्वज जाडेजा यूरोप में किसी से लड़ाई कर बैठे, जिसमें उनकी मौत हो गई। इसके अगले साल ही 1979 में मच्छु नदी का बांध टूट गया जिसमें 1439 लोगों की मौत हो गई थी।
मोरबी पर एक फिल्म भी बनाई गई
वहीं इसमें करीब 12,849 हजार से ज्यादा पशुओं की मौत हुई थी। बाढ़ का पानी उतरने के बाद यहां-वहां लाशें बिखरी पड़ी थीं। यहां तक कि इंसानों से लेकर जानवरों के शव खंभों तक पर लटके हुए मिले थे। हजारों घर धराशायी हो गए थे सरकार को कई वर्ष तक यहां राहत कार्य चलाना पड़ा था। लोगों का मानना है कि युवती के श्राप के कारण ये सभी आफत आ रही हैं। इस कथा से जुड़ी एक गुजराती फिल्म भी बनाई गई जिसका नाम था मच्छु तारा वेहता पानी…इस फिल्म में इस नदी की भी कहानी कही गई है।
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