Mission 2022: चुनावी हलचल से महकने लगी यूपी की सियासी ज़मीन
लखनऊ: कोरोना वायरस कोविड-19 की महामारी के बावजूद सियासी ज़मीन चुनावी हलचल से महकने लगी है देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में सभी सियासी दल चुनावी मोड़ (Mission 2022 ) में आ गए हैं।
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मोदी की भाजपा सरकार की उदासीनता के चलते अचानक लगाए गए लॉकडाउन से सबसे ज़्यादा अगर किसी ने परेशानियों का सामना किया है तो वह मज़दूर रहा उसको किसी भी राज्य की सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया जिसके बाद वह पैदल ही अपने-अपने गाँवों की ओर निकल पड़े भूखे प्यासे कैसे-कैसे किसी ने रेलवे लाइनों पर कटकर अपनी जान दे दी तो किसी को रोड पर स्थित पैदल चलते हुए या आराम करते हुए गाड़ियों ने मौक़े पर ही मौत के आग़ोश में सुला दिया तो किसी ने भूख प्यास के चलते अपने प्राणों को त्याग दिया ऐसे हालात में उन्होंने अपना सफ़र तय किया इसको लिखना आसान है लेकिन हक़ीक़त में उतना ही दर्दनाक है।क्या इस बार के विधानसभा चुनाव में मज़दूरों का दर्द मुद्दा बनेगा ?
मुझे लगता है कि शायद न बने क्योंकि जहाँ हिन्दू मुसलमान पर वोटिंग हो वहाँ इन दर्दनाक मुद्दों के कोई मायने नहीं होते।आगामी विधानसभा चुनावों 2022 (Mission 2022 ) में कोविड-19 से मजबूर सैंकड़ों हज़ारों किलोमीटर पैदल चलने वालों की मददगार बनी वह कांग्रेस है।कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं यूपी की प्रभारी श्रीमती प्रियांका गांधी की सक्रियता से यूपी में आगे खड़ी दिखाई दे रही हैं।
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वहीं (Mission 2022 ) बहुजन समाज पार्टी व समाजवादी चुनावी रेस में पीछे दिखाई दे रही हैं सपा का फ़िलहाल का नेतृत्व एसी कोच में सफ़र कर सपा को सत्ता की दहलीज़ तक पहुँचाने की कोशिश कर रहा है और रही बात बसपा की उसका नेतृत्व तो पहले से ही अलग तरह की सियासत करता रहा है जिसमें वह अपने वोटबैंक को एकजुट रखने में सफल भी रही हैं।
यह बात अलग है कि बसपा को वह सफलता नहीं मिल पा रही है जिसकी वह अपेक्षा रखती हैं उसके कई कारण हैं एक तो मायावती को माना जाता है कि वह किसी की नहीं सुनती उनको जो ठीक लगता है वही करती हैं दूसरा सबसे बड़ा कारण मनुवादी व्यवस्था के हामी लोग उनके ख़िलाफ़ दुष्प्रचार करते हैं कि वह ठीक नहीं है तरह-तरह की मनगढ़ंत कहानी बनाकर जनता को गुमराह किया जाता है जिसकी वजह से पिछले दो चुनावों में बसपा सिर्फ़ अपने वोटबैंक तक ही सीमित रह गई जिसके चलते अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिल पाई है क्या बसपा प्रमुख मायावती अपनी पूर्व की नीतियों में चुनाव जीतने के लिए बदलाव करेगी यह आने वाला समय बताएगा ?
(रिपोर्ट- तौसीफ़ क़ुरैशी, लखनऊ )