शहीदी दिवस विशेष: भारत ही नही बल्कि पाकिस्तान के भी नायक है शहीद ‘भगत सिंह’

0 27

न्यूज डेस्क– भगत सिंह को लेकर जितने संजीदा हम हैं उतनी ही पाकिस्ताहन की अवाम भी है। वहां के लोगों को यह एहसास है कि जितने वे भारत के हैं उतने ही पाकिस्ताहन के भी। दोनों देशों की अवाम को जोड़ने के लिए भगत सिंह एक बहाना भी हैं और कड़ी भी।

शहीद-ए-आजम भगत सिंह के मुरीद जितने भारत में हैं उतने ही पाकिस्तान में भी। उनका जन्मग 28 सितंबर 1907 को फैसलाबाद, लायलपुर (वर्तमान में पाकिस्ता।न) के गांव बंगा में हुआ था।

Related News
1 of 1,062

‘भगत सिंह को 23 मार्च 1931 को उनके साथी राजगुरु व सुखदेव के साथ लाहौर जेल में अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी. दुनिया में यह पहला मामला था जब किसी को शाम को फांसी दी गई. वह भी मुकर्रर तारीख से एक दिन पहले.तब भगत सिंह के उम्र सिर्फ 23 साल थी. उन्हें  सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने और अंग्रेज अफसर जॉन सैंडर्स की हत्या  के आरोप में यह सजा दी गई थी. उनका जन्मं और शहादत दोनों आज के पाकिस्तानन में हुआ था. इसलिए वहां के लोग उन्हें  नायक मानते हैं

उन्होंहने तब अंग्रेजों से लोहा लिया और देश के लिए फांसी पर चढ़ गए उस समय देश का बंटवारा नहीं हुआ था। इसलिए दोनों देशों में तनाव के बाद भी वह कई जगह भारत-पाकिस्तानन की अवाम को जोड़ते नजर आते हैं।

भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान के प्रमुख इम्तियाज रशीद कुरैशी ने  कहा “भारत-पाकिस्तान दोनों भगत सिंह को दोस्ती की बुनियाद बनाएं। वे दोनों देशों के साझा हीरो हैं। जब उन्होंने आजादी के लिए लड़ाई लड़ी तब दोनों मुल्क एक ही थे। हम पाकिस्तान में उन्हें सर्वोच्च सम्मान दिलाने के लिए प्रयासरत हैं।”

आज भारत में भी भगत सिंह को नमन किया जा रहा है और पाकिस्तान में भी। भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने वहां कार्यक्रम आयोजित किया है। पाकिस्ताभन में अब भी वह घर मौजूद है, जहां उनका जन्म हुआ था।

शहीद भगत सिंह के प्रपौत्र यादवेंद्र सिंह संधू कहते हैं ” शहीद-ए-आजम भारत-पाकिस्ताहन दोनों की साझी विरासत हैं। हम लोग यहां उन्हेंक शहीद का दर्जा देने के लिए लड़ रहे हैं तो पाकिस्ताोन में भी वहां के लोग उन्हेंम मान-सम्माहन दिलाने के लिए लड़ रहे हैं।”

भगत सिंह के लिए लड़ रही पाकिस्तान की जनता

वहां की आवाम ने आखिर लाहौर के शादमन चौक का नाम बदलकर भगत सिंह चौक करवा लिया था। इसके लिए वहां की सिविल सोसायटी ने लड़ाई लड़ी। हालांकि पाकिस्ताआन का कटटरपंथी संगठन जमात-उद-दावा इसके विरोध में था। भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान के प्रमुख इम्तियाज रशीद कुरैशी ने हमें बताया कि यह मामला लाहौर हाईकोर्ट में चला गया है। हम लड़ाई लड़ रहे हैं।

पाकिस्तायन के भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने सांडर्स केस से भगत सिंह को बाइज्जत बरी करने के लिए लाहौर हाईकोर्ट में अपील लगाई हुई है। वह पाकिस्तायन सरकार को यह निर्देश देने की मांग कर रहे हैं कि वह भगत सिंह को राष्ट्रीय सम्मान दे। याचिका में लाहौर कोर्ट को लिखा है कि भगत सिंह आजादी के सिपाही थे और उन्होंने अविभाजित भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी। हालांकि पाकिस्तान में आतंकी और कट्टरपंथी संगठन भगत सिंह के पक्ष में आवाज उठाने का विरोध करते रहे हैं। लेकिन वहां बड़ा तबका भगत सिंह को अपना हीरो मानता है।

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Comments
Loading...