सराहनीय: यहां श्राद्धपक्ष में सीमा पर शहीद सैनिकों के लिए भी किया जाता है तर्पण…
फर्रूखाबाद– इन दिनों देश में श्राद्धपक्ष मनाया जा रहा है ; जिसमें पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किए जाते हैं, लेकिन फर्रुखाबाद के पांचाल घाट पर देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए जवानों का तर्पण किया जा रहा है और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जा रही है।
इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों ने जहां अपने पितरों को याद किया, वहीं पूरी भावना के साथ सरहद में हुए सभी शहीदों का तर्पण किया। सरहद पर वीर सैनिको की बजह से आज पूरा देश अपने अपने घरों में चैन की नींद सोता है। देश की जनता का भी कुछ उत्तरदायित्व है कि शहीद सैनिको के लिए कुछ करे।आचार्य प्रदीप नारायण शुक्ल के द्वारा गंगा घाट पर रोजाना सैकड़ो लोगो के द्वारा तर्पण कराया जा रहा है उनका मनना है जब हम सभी लोग अपने पूर्वजो को जल देते है।क्योंकि उन्होंने हम लोगो का पालन पोषण किया है तो देश की सीमा पर शहीद सैनिको ने भी हमारे लिए बहुत कुछ किया है इसलिए पूर्वजो के साथ उन सैनिको को जल देना आवश्यक है।
जो लोग 15 दिन लगातार शहीद सैनिको को जल दे रहे है उनका मानना है कि जिस प्रकार हमारे पूर्वजों की आत्माएं हमारे परिवार की रक्षा करती है कभी कोई अनहोनी नही होने देती वैसे ही शहीद सैनिको की आत्माएं भी हमारी व देश की रक्षा करती होगी । उसी वजह से हर वर्ष शहीद सैनिको के नाम से गंगा घाट पर तर्पण किया जाता है।जिससे उनकी आत्माएं अपने परिवार पर कृपा बनाये रखे।सैनिको की आत्माओं के लिए किया जायेगा पिण्ड दान-पांचाल घाट दुर्वाषा ऋषि आश्रम के सामने तर्पण के अंतिम दिन तर्पण करने वाले लोग अपने पूर्वजो का पिण्डदान करते है उन्ही के साथ सीमा पर शहीद हुए सैनिको का भी पिंड दान किया जायेगा।जिसमे भारी संख्या में लोग हिस्सेदारी करेंगे।
भैयन मिश्रा का कहना था कि जो सैनिक शहीद सीमा पर हुए उन्ही की बजह से हमारा परिवार सुरक्षित है।हो सकता है शहीद सैनिक के घर मे उनकी आत्मा शांति के लिए जल नही दे पा रहा हो तो हमारा फर्ज है क्योंकि वह सैनिक हमारे देश के किसी परिवार से था इसलिए देश हमारा एक परिवार है।उसी बजह से हम लोग शहीद सैनिको को जल दे रहे है।
वही संजीव बाजपेई ने कहा कि सैनिक किसी भी जाति धर्म का हो वह हमारे परिवार को सुरक्षित रखने के लिए सीमा पर शहीद होता है।इसलिए उस सैनिक की आत्मा की शांति के लिए सभी लोग मिलकर रोजाना गंगा घाट पर अपने पितरों के साथ जल देते है।
(रिपोर्ट-दिलीप कटियार, फर्रूखाबाद)