Mamta Kulkarni को महामंडलेश्वर पद से हटाया गया, लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से भी निष्कासित
Mamta Kulkarni : महाकुंभ में किन्नर अखाड़े ने बड़ी कार्रवाई की है। किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया है। किन्नर अखाड़े ने महज 7 दिन के अंदर ही महामंडलेश्वर का ताज छीन लिया है। साथ ही अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी पद से निष्कासित कर दिया गया है।
भटक गई लक्ष्मी नारायण-अजय दास
दरअसल किन्नर अखाड़े के संस्थापक बताने वाले ऋषि अजय दास ने कहा- मैंने लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी और अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया है। ममता को महामंडलेश्वर बनाने में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, जिन पर देशद्रोह का आरोप है। उन्हें महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है? दास ने यह भी कहा कि यह कोई बिग बॉस शो नहीं है, जो कुंभ के दौरान एक महीने तक चलाया जा सके। मैंने किन्नर समुदाय के उत्थान और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को आचार्य महामंडलेश्वर बनाया था, लेकिन वह भटक गईं। ऐसे में मुझे कार्रवाई करनी पड़ी।
अजय दास के दावे को लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने किया खारिज
हालांकि महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने अजय दास के दावे को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा- वह कौन होते हैं मुझे अखाड़े से निकालने वाले। 2017 में अजय दास को किन्नर अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया था। वह निजी स्वार्थ के लिए ऐसा कह रहे हैं। दरअसल अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद से विवाद बढ़ा है।
Mamta Kulkarni को मिली थी महामंडलेश्वर की उपाधि
बता दें कि हाल ही में ममता कुलकर्णी संन्यास दीक्षा लेकर किन्नर अखाड़े में शामिल हुई थीं। महाकुंभ में उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई थी। किन्नर अखाड़े में उनके आने के बाद से ही बवाल मचा हुआ था। ममता कुलकर्णी को लेकर किन्नर अखाड़े में मतभेद था। लेकिन अब यह असमंजस खत्म हो गया है। किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजयदास ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया है।
अजय दास ने क्या कुछ कहा
अजय दास ने पत्र जारी कर कहा- 2015-16 के उज्जैन कुंभ में मैंने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को किन्नर अखाड़े का आचार्य महामंडलेश्वर बनाया था। अब मैं उन्हें किन्नर अखाड़े के पद से मुक्त करता हूं। जल्द ही उन्हें लिखित जानकारी दी जाएगी। उनकी नियुक्ति किन्नर समाज के उत्थान और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए हुई थी, लेकिन वह भटक गए। उन्होंने 2019 के प्रयागराज कुंभ में मेरी अनुमति के बिना जूना अखाड़े से लिखित समझौता कर लिया, जो न केवल अनैतिक है, बल्कि 420 भी है।
इन कारणों से छीना गया ममता का ताज
अजय दास ने उदाहरण देते हुए कहा- किन्नर अखाड़े के गठन के साथ ही गले में वैजयंती माला पहनी गई, जो श्रृंगार का प्रतीक है। उन्होंने इसे त्याग दिया और रुद्राक्ष की माला पहनना शुरू कर दिया, जो संन्यास का प्रतीक है। मुंडन संस्कार के बिना संन्यास मान्य नहीं है। इस तरह वे सनातन धर्म प्रेमियों और समाज के साथ धोखा कर रहे हैं। ममता कुलकर्णी की महामंडलेश्वर वाली पदवी किन्नर अखाड़े के नियमों के अनुरूप नहीं थी।
ममता कुलकर्णी फिल्मी दुनिया से रही हैं। उनकी पृष्ठभूमि की वजह से किन्नर अखाड़े का एक बड़ा वर्ग असहज महसूस कर रहा था। यही वजह है कि आज किन्नर अखाड़े की संस्थापक ने ममता कुलकर्णी के साथ-साथ आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया। ये सब ऐसी बातें हैं, जिसकी वजह से अखाड़े के सदस्यों में फूट पड़ गई थी।
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